असम विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में रस्साकसी

असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की राह आसान नहीं है। एक तरफ जहां चुनाव से पहले पार्टी के कई विधायक और पदाधिकारी भाजपा में शामिल हो रहे हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के निधन के बाद पार्टी नेतृत्वविहीन है। नए नेता के नाम पर कांग्रेस पूरी तरह विभाजित है। तरुण गोगोई लगातार तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे। उनकी मौजूदगी में पार्टी एकजुट रही, क्योंकि पार्टी के अंदर कोई भी नेता उनके कद के बराबर नहीं था।

पर पिछले साल 23 दिसंबर को उनकी मृत्यु के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर कई दावेदार हैं। इसने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। लोकसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई इस दौड़ में शामिल हैं। शांति सदभावना यात्रा के दौरान वह असम के सभी जिलों का दौरा कर चुके हैं। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शुष्मिता देव भी असम से हैं। वह एक बार लोकसभा सांसद रह चुकी हैं और लगातार सक्रिय हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि गौरव गोगोई और शुष्मिता देव पार्टी नेतृत्व की पसंद हैं। इसलिए गौरव को लोकसभा में पार्टी का उप नेता और शुष्मिता को महिला कांग्रेस का अध्यक्ष बना रखा है। पर प्रदेश में इन दोनों से वरिष्ठ नेता भी मौजूद हैं। वह भी इस पद के लिए अपनी दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि असम में नेतृत्व को लेकर कई दावेदार हैं। ऐसे में कांग्रेस की पहली कोशिश सभी नेताओं को एकजुट कर आपसी समन्वय के साथ चुनाव लड़ना है। क्योंकि, प्रदेश अध्यक्ष रिपुण बोरा और प्रद्युत बारदोई सहित कई अन्य नेता भी काफी वरिष्ठ हैं।

इस बीच, विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने और घर को एकजुट रखने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मुकुल वासनिक और शकील अहमद शनिवार को गुवाहाटी पहुंच रहे हैं। पर्यवेक्षक प्रदेश कांग्रेस कमेटी और वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे।