अग्निपरीक्षा मित्तल की कलम से जय जवान जय किसान मानसी


सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलन्दशहर दुश्मनों ने देखो कैसा है षड्यंत्र रचाया
अपने ही देश के खिलाफ जाल बिछाया ।
अब अग्नि परीक्षा का समय है आया
देश के रखवालों को उलझाया ।

अग्नि परीक्षा होती है हर इंसान की
अब बारी है सरकार और किसान की ।
नित नए विवाद खड़े हुए हैं
लड़ाई झगड़े खूब बड़े हैं ।

वीर जवान और वीर किसान तुम
देश के हो अनमोल रत्न तुम ।
त्याग की तुम दोनों हो मूरत
क्यों झगड़ रहे हो देश की धरोहर ।

षड्यंत्री हो रहे हैं मतलब के यार
तुमको कर रहे हैं इस्तेमाल ।
अगर देश के तुम हो रक्षक
मत बनों देश के भक्षक ।

जवान हमारे देश के रक्षक
सरहद पर खड़े रहते हैं हरदम ।
बर्फ की चादर ओढ़ें हरपल
जान न्योछावर करते हैं हरदम ।

किसान हमारे लिए हैं अन्न उगते
धूप ,तपिश की मार हैं खाते ।
देश को तुम ही खुशहाल बनाते
तभी तो अन्न दाता कहलाते ।

भारत के हो तुम आधार
प्रेम की भर लो तुम हुंकार ।
जय जवान और जय किसान
अग्नि परीक्षा दोनों की आज ।

अब बारी है एकजुट होने की
देश द्रोहियों को सबक सिखा दो ।
भारत माँ की लाज बचाकर
फिर से अपना नाम कमा लो ।

जय जवान जय किसान का नारा फिर से चमका दो ।

जय हिंद जय भारत🇮🇳🇮🇳
🙏

स्वरचित✍️

मानसी मित्तल