ज्ञानवापी के बाद अब कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद पर कोर्ट में सुनवाई होगी. मथुरा कोर्ट ने सुनवाई के लिए इससे जुड़ी याचिका स्वीकार कर ली है. याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि के ऊपर बनी है, इसलिए उसे हटाया जाना चाहिए.
बता दें कि सिविल कोर्ट ने पहले इस याचिका को खारिज कर दिया था. फिर हिंदू पक्ष ने याचिका को नए तरीके से मथुरा कोर्ट में दायर किया. अब मथुरा कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा है कि सिविल कोर्ट इसपर सुनवाई करे.मथुरा कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह से जुड़ी याचिका को सुनने योग्य माना है. यह फैसला डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज राजीव भारती ने सुनाया है.
इस मामले में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री (जोकि खुद के कृष्ण भक्त होने का दावा करती हैं) समेत 6 वादी हैं. ये अपील साल 2020 में दायर की गई थी, जिसमें शाही ईदगाह की जमीन पर मालिकाना हक मिलने का दावा किया गया था.
क्या है मथुरा का विवाद
बता दें कि 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का विवाद है. इसमें 10.9 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री ने वाद दायर किया था.बता दें काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है. हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी.
औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई.मथुरा में इस विवाद की चर्चा पिछले साल तब शुरू हुई थी, जब अखिल भारत हिंदू महासभा ने ईदगाह मस्जिद के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करने और उसका जलाभिषेक करने का ऐलान किया था. हालांकि, हिंदू महासभा ऐसा कर नहीं सकी थी. इसके बाद उत्तर प्रदेश चुनाव में ‘मथुरा की बारी है…’ जैसे नारे भी खूब चले.