IN8@ नई दिल्ली(19 जुलाई 2020) लंगर की रसद में संगतों के द्वारा गुरुद्वारा बंगला साहिब में दिए गए आटे के खुले बाजार में बिकने के सामने आए खुलासे पर ‘जागो’ पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने दिल्ली कमेटी प्रबंधकों के खिलाफ थाना संसद मार्ग में कमेटी सदस्य चमन सिंह शाहपुरा के द्वारा सोमवार को शिकायत देने का ऐलान किया हैं। साथ ही कहा है कि कमेटी ने आटा नहीं बल्कि संगतों की श्रद्धा को बेचा हैं।
यदि आपके पास फालतू आटा था तो गरीब सिखों, ग्रंथीयों तथा पाठी सिहों को सहायता के तौर पर आटा देने की बजाए खुले बाजार में आटा बेचना गलत है। दरअसल कल एक निजी चैनल ने खुलासा किया था कि गुरुद्वारा बंगला साहिब से आटा भरकर चला ट्रक नंबर DL1LY 7733, जिस पर लंगर सेवा गुरुद्वारा बंगला साहिब लिखा था, में कई टन आटा लोड था। जिसका 2 सिख नौजवानों ने पीछा किया और कैमरे में कैद हुई तस्वीरों में उस्मानपुर के पवन स्टोर पर यह ट्रक पहुँचता हैं। जानकारी अनुसार 8 रुपये किलो आटा कमेटी ने बेचा था।
इस मामले में मीडिया से बातचीत करते हुए जीके ने इसे संगतों की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ बताया। इस मौके जीके के साथ आटा बिक्री का स्टिंग करने वाले दोनों सिख नौजवान दलजीत सिंह और हरनाम सिंह मौजूद थे। जीके ने कमेटी के महासचिव हरमीत सिंह कालका द्वारा आटा बेचने की बात स्वीकार करने के बावजूद खराब आटा बेचने के किए गए दावे को झूठ का पुलिंदा बताया। जीके ने कालका के लिए सवालों की झड़ी लगाते हुए दावा किया कि आटे में सुंड़ी पड़ने का दावा विश्वास योग्य ना होकर कमेटी द्वारा अपनी चोरी पकड़े जाने पर खिसियाते हुए नकली दस्तावेज बनाने का मामला ज्यादा लगता है। जो कि पुलिस के द्वारा कागजों की की जाने वाली फोरंसिक जाँच में साबित हो जाएगा। एक तरफ कमेटी ने विरोधी दलों के सदस्यों को इलाके में बाँटने के लिए राशन नहीं दिया, सिर्फ बादल दल से संबंधित सदस्यों को राशन देकर, रसद का सियासीकरण करने के साथ सदस्यों का मैंबर फंड़ भी बंद कर दिया गया। जबकि जरूरतमंद सिखों तक रसद और आर्थिक सहायता नहीं पहुँची, लेकिन आटा खराब हो गया। इससे ज्यादा नालायक प्रबंध क्या होगा ?
जीके ने सवाल पूछा कि कालका के पास ऐसा कौन सा तंत्र हैं, जिससे 50 किलो के आटे के बंद बोरे में सुंड़ी होने का पता चल जाता है ? यदि आटा खराब था तो किरयाना स्टोर ने क्यों खरीदा ? यदि आटे को कबाड़ी या चोकर खरीदने वाले ने खरीदा था, तो वो खुद अपनी गाड़ी से उठाकर क्यों नहीं ले गया ? कमेटी के द्वारा किराए पर ली गई गाड़ी आटे की होम डिलीवरी करने क्यों गई ? जब लड़कों ने उस्मानपुर में ड्राइवर से आटे के बारे में पूछा तो उसने आटा जीटी करनाल रोड़ से लाने का झूठ क्यों बोला, जबकि लड़के उसका पीछा गुरुद्वारा बंगला साहिब से कर रहें थे ? आटा लेकर गाड़ी के साथ गया व्यापारी किस राजू भाजी से लड़कों से बात करवा रहा था ? राजू भाजी ने लड़कों से फोन पर बात करने की बजाय फोन क्यों काटा था ? जब कमेटी के दावे अनुसार लाकडाउन में 1.65 लाख लोगों का रोजाना लंगर पक रहा था और रसद भी बाँटी गई थी, तो आटा इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ ? अगर पुराना आटा इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा था, तो कमेटी संगत से रोजाना रसद और पैसे क्यों माँग रहीं है ? ‘लंगर आॅन व्हील’ की गाड़ी को पके हुए लंगर की डिलीवरी के लिए लगाया गया था या आटा सप्लाई के लिए ? जीके ने दावा किया कि आटा खराब नहीं था बल्कि इनकी नीयत खराब है, जो इन्हें लंगर जैसे पवित्र संस्थान की परंपरा को तार-तार करने को उत्साहित करती है।