गाजियाबाद। जनपद गाजियाबाद में आबकारी विभाग शराब की दुकानों की संचालन व्यवस्था को सुदृढ़ करने और नशे की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए लगातार कठोर कदम उठा रहा है। विभागीय अधिकारियों की पूरी टीम जिले भर में सक्रिय होकर ओवररेटिंग, अवैध शराब की बिक्री, और लाइसेंस उल्लंघन के मामलों की कड़ी जांच कर रही है। लेकिन इसी बीच एक नई समस्या सामने आ रही है। पत्रकारिता के नाम पर कुछ लोग शराब विक्रेताओं को धमकाकर उनसे वसूली करने की कोशिश कर रहे हैं। इन तथाकथित पत्रकारों द्वारा किए जा रहे इस कृत्य से न केवल शराब की दुकानों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि विभाग की मेहनत और छवि भी खतरे में पड़ रही है। आबकारी विभाग के अधिकारियों के लिए यह समय बहुत चुनौतीपूर्ण बन गया है। विभाग की टीम को अक्सर शिकायतें मिलती हैं कि कुछ विक्रेता ओवररेटिंग कर रहे हैं, अवैध शराब बेच रहे हैं या अन्य नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इन शिकायतों के समाधान के लिए आबकारी विभाग तत्पर है और हर शिकायत पर जांच कर त्वरित कार्रवाई करने की प्रक्रिया में है।
मगर अब कुछ फर्जी पत्रकार विभाग और विक्रेताओं दोनों को निशाना बनाकर अपनी जेब भरने की कोशिश कर रहे हैं। ये लोग सबसे पहले शराब की दुकानों पर पहुंचते हैं, वहां विक्रेताओं के साथ ओवररेटिंग या अन्य छोटे-मोटे मुद्दों को लेकर बहस करते हैं और फिर उनका वीडियो बनाते हैं। यदि विक्रेता इस डर से वीडियो के सामने आने से बचने की कोशिश करता है, तो उसे सीधे धमकी दी जाती है कि दुकान बंद करवा दी जाएगी या संबंधित आबकारी निरीक्षक के खिलाफ शिकायत की जाएगी। यदि दुकान के मालिक या विक्रेता इन दबावों के आगे नहीं झुकते, तो ये लोग शिकायत के साथ वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डालकर विभाग और विक्रेता दोनों की साख को ठेस पहुंचाते हैं और उस पर मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। इस साजिश का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि यह पूरी प्रक्रिया किसी न किसी रूप में विभाग के अधिकारियों को भी गलत तरीके से फंसाने की कोशिश करती है। इन फर्जी पत्रकारों की रणनीति केवल शराब दुकानों से पैसे ऐंठने तक सीमित नहीं है, बल्कि वे पूरी आबकारी विभाग की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। जिले में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां शिकायतकर्ता या तो खुद को पत्रकार बताते हुए विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं या फिर विक्रेता से ओवररेटिंग की वीडियो मांगने पर अधिकारियों को ही मिलीभगत का हिस्सा मानकर सार्वजनिक रूप से आरोपित कर दिया जाता है।
ब्लैकमेलर्स के खिलाफ आबकारी विभाग ने बनाई रणनीति
आबकारी विभाग की टीम इन फर्जी पत्रकारों और ब्लैकमेलर्स के खिलाफ अब गंभीर कदम उठाने की योजना बना रही है। विभाग ने इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए एक कड़ी रणनीति बनाई है। ऐसे पत्रकारों और शिकायतकर्ताओं की पहचान की जा रही है जो सिर्फ अपनी निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए विभाग और विक्रेताओं के खिलाफ झूठे आरोप लगाते हैं। अब इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिला आबकारी अधिकारी ने घोषणा की है कि जल्द ही इन ब्लैकमेलर्स की एक सूची तैयार की जाएगी और इसे जिलाधिकारी के सामने रखा जाएगा, ताकि इन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सके। आबकारी विभाग का कहना है कि वे न केवल शराब की दुकानों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि विभाग की कार्यशैली और अधिकारियों की ईमानदारी को बनाए रखने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। विभागीय अधिकारियों को इस तरह की शिकायतों का निराकरण करते हुए न केवल विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी पड़ती है, बल्कि इन फर्जी पत्रकारों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो विभाग की साख को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। जिले में अब तक कई ऐसे मामलों की रिपोर्ट सामने आई हैं, जहां शिकायतकर्ता आरोप लगाते हैं कि विक्रेता ने ओवररेटिंग की है, लेकिन जब अधिकारियों से साक्ष्य मांगे जाते हैं तो यह लोग अपने दावे से मुकर जाते हैं या फिर उनसे भाग जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि बिना साक्ष्य के कार्रवाई नहीं की जा सकती, लेकिन कई बार इन तथाकथित पत्रकारों द्वारा दबाव बनाने की कोशिश की जाती है, जो केवल वसूली की मंशा से काम कर रहे हैं।
विभाग का प्रयास-सत्य और ईमानदारी का संरक्षण
इस समय, आबकारी विभाग एक ओर जहां शराब की अवैध बिक्री और ओवररेटिंग को रोकने के लिए निरंतर प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर इसे पत्रकारिता के नाम पर चल रही इस अवैध वसूली के खेल से भी बचाना जरूरी है। विभाग के अधिकारी अपनी पूरी ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं, लेकिन फर्जी पत्रकारों और ब्लैकमेलिंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि पत्रकारिता का नाम बदनाम करने वालों को किसी भी हालत में नहीं बख्शा जाए।
आबकारी विभाग की कार्यशैली और जिम्मेदारी को लेकर जिला आबकारी अधिकारी संजय कुमार प्रथम कहा कि विभाग अब किसी भी हालत में उन ब्लैकमेलरों और फर्जी पत्रकारों को बख्शने का इरादा नहीं रखता, जो शराब की दुकानों और आबकारी विभाग की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे विभाग की प्राथमिकता हमेशा से नियमों का पालन कराना और जनता को सर्वोत्तम सेवाएं देना रही है। लेकिन हाल ही में कुछ लोग जो खुद को पत्रकार बताते हैं, शराब विक्रेताओं से अवैध रूप से वसूली करने की कोशिश कर रहे हैं। यह न केवल शराब के कारोबार को प्रभावित कर रहा है, बल्कि विभाग की साख को भी नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे लोग न केवल विक्रेताओं को धमकाते हैं, बल्कि विभाग के अधिकारियों को भी गलत तरीके से फंसाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने ऐसे तत्वों के खिलाफ एक ठोस रणनीति बनाई है। विभाग ने इन फर्जी पत्रकारों और ब्लैकमेलर्स की पहचान करने के लिए एक सूची तैयार की है, जो नियमों और कानूनों की अवहेलना कर रहे हैं। जल्द ही इस सूची को जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि इन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा, हमारी टीम लगातार शराब की दुकानों की जांच कर रही है और हर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई कर रही है। लेकिन जो लोग सिर्फ अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए विभाग और विक्रेताओं को निशाना बना रहे हैं, उन्हें किसी भी हालत में नहीं छोड़ा जाएगा। आबकारी विभाग का यह प्रयास है कि सभी विक्रेताओं और अधिकारियों को पारदर्शी और ईमानदार तरीके से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।