एक युद्ध नशे के विरुद्ध अभियान: विद्यार्थियों को आबकारी विभाग ने दिलाई शपथ

गौतमबुद्ध नगर। आज 8वीं से 12वीं तक बच्चे भी पार्कों, स्कूल मैदान में इंजेक्शन, दवाइयों व अन्य तरह-तरह के नशे में फंसे है। युवाओं में तो यह आंकड़ा काफी ज्यादा है। नशे में फंसे युवा न केवल अपना करियर बर्बाद कर रहे हैं बल्कि अभिभावकों की उम्मीदों को भी धूमिल कर रहे है। नशे से किसी का भला नहीं हुआ, नशा करने वाले का सामाजिक और नैतिक दोनों ही पतन निश्चित है। उक्त बातें शुक्रवार को जिलाधिकारी मनीष वर्मा की अध्यक्षता में गलगोटिया यूनिवर्सिटी के विवेकानंद ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित नार्को कोर्डिनेशन सेंटर के तहत जिला स्तरीय समिति की बैठक को संबोधित करते हुए अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) नितिन मदान ने उप जिलाधिकारी (सदर) अंकित कुमार, एसीपी क्राइम अमित सिंह,  जिला औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर, प्रभारी तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ डॉ श्वेता खुराना, डिप्टी सीएमओ पवन कुमार, एसएचओ एएनटीएफ सौरभ विक्रम सिंह, आबकारी निरीक्षक आशीष पांडे, गौरव चन्द्र, नामवर सिंह, शिखा ठाकुर, चंद्रशेखर सिंह, गलगोटिया यूनिवर्सिटी के वीसी के. बाबू की मौजूदगी में छात्र-छात्राओं को नशे के विरुद्ध जागरूक करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा नशे में युवा न केवल अपना नाश करता है बल्कि परिवार भी इसका शिकार होता है। अभिभावक अपने बच्चों की ख्वाहिश पूरी करने में ही व्यस्त न रहें, बल्कि अपने बच्चों की गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखें। उनके बच्चे कर क्या रहे हैं, उनकी संगत क्या है। आज हालात ये हैं कि जब तक बच्चों को अभिभावक संभालते हैं तब तक बच्चा नशे में पूरी तरह डूब चुका होता है, फिर उस नशे की लत को छुड़वा पाना भी संभव नहीं होता। इससे बेहतर है कि समय रहते नशे के प्रति अभिभावक और बच्चे सजग रहें। अपर जिलाधिकारी ने बैठक में कॉलेज के छात्र-छात्राओं से नशा से दूर रहने की अपील की और जिला स्तरीय समिति के सदस्यों को निर्देश दिए की जनपद गौतमबुद्ध नगर को नशा मुक्त बनाने के लिए जनपद में व्यापक स्तर पर नशे के दुष्प्रभाव के संबंध में अभियान चलाकर व्यापक प्रचार प्रसार करते हुए आमजन को जागरूक किया जाए। जनपद के सभी शैक्षिक संस्थानों व कॉलेजों को स्मोकिंग फ्री, अल्कोहल फ्री व नार्कोटिक्स पदार्थ फ्री बनाए जाने की कार्रवाई की जाए। किसी भी शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू का विक्रय न होता पाया जाए।

उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर भी शिक्षण संस्थान से 100 गज के दायरे में तंबाकू, पान मसाला, बीड़ी, सिगरेट का विक्रय होता पाया जाये तो संबंधित विक्रेता की सूचना संबंधित उप जिला अधिकारी, थाना प्रभारी व तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ को देते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। इस अभियान में शैक्षणिक संस्थानों का भी भरपूर सहयोग लिया जाए ताकि शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मैनेजमेंट टीम का गठन करते हुए तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान ज्यादा से ज्यादा घोषित किये जा सके।

आबकारी निरीक्षक आशीष पाण्डेय ने कहा अच्छे खिलाड़ी व सेहतमंद युवा भी कई बार नशे की लत की वजह से अपना शरीर और मान मर्यादा के साथ प्रतिष्ठा खो बैठते हैं। ये युवा सब कुछ हासिल करने की ललक में सब कुछ गंवा बैठते हैं। क्योंकि नशे से हमेशा ही नाश हुआ है, किसी का भला नहीं। ये बात अच्छी तरह समझनी होगी। मेरा मानना है कि अभिभावक भी बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें, वे खुद को कमाने और बच्चों का पालन करने तक ही सीमित ना रहें, बल्कि उनके हर बात और आदत में भागीदारी निभाएं। बहुत से युवा तो शौक के लिए नशा करते हैं। शुरुआत में तो यह अच्छा लगता हैं, मगर बाद में बदहाली और मौत की वजह भी बन जाता है। इसमें खुद का शरीर खोखला करने के बाद सामाजिक प्रतिष्ठा भी दाव पर होती है। हमें चाहिए कि सांझी भागीदारी से समाज व युवा वर्ग को नशा मुक्त बनाने के लिए प्रयास करें।

जिला आबकारी अधिकारी ने दिलाई एक युद्ध नशे के विरुद्ध अभियान की शपथ
युवा वर्ग नशे की चपेट में है। इनका असर बच्चों पर भी पड़ रहा है। इन पर नशा न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक दुष्प्रभाव डाल रहा है। नशे की पूर्ति के लिए अपराध से भी वह हिचक नहीं रहे हैं। उक्त बातें शुक्रवार को शासन स्तर पर चलाए जा रहे एक युद्ध नशे के विरुद्ध अभियान को धार देते हुए जिला आबकारी सुबोध कुमार श्रीवास्तव ने अपने कार्यालय में आबकारी निरीक्षक सेक्टर-1 गौरव चन्द, सेक्टर-2 रवि जायसवाल, सेक्टर-3 शिखा ठाकुर, सेक्टर-4 अभिनव शाही, सेक्टर-5 चन्द्रशेखर सिंह, सेक्टर-6 नामवर सिंह एवं सेक्टर-7 आशीष पाण्डेय, हेमलता रंगनानी एवं स्टाफ का शपथ दिलाते ुहए कहीं। जिले में ‘एक युद्ध नशे के विरुद्ध अभियान जोर-शोर पर चलाया जा रहा है। विभाग का मकसद नई पीढ़ी को नशे से दूर रखना है।

विद्यालयों में जाकर आबकारी निरीक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को नशे के खिलाफ शपथ दिलाई जा रही है। नशे के दुष्प्रभावों से देश की युवा पीढ़ी को बचाने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा नशे के कारण सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग है। इससे उनका मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। एक बार नशे की लत में पड़ने के बाद इससे निकलना मुश्किल हो रहा है। युवा वर्ग इस दवाइयों की लत में इस कदर डूबा रहता है कि इसके दुष्परिणाम के बारे में नहीं सोचता। इसमें छोटे-छोटे बच्चे शामिल हैं। नशे की लत में सबसे अधिक कचरा बीनने वाले लड़के शामिल हैं। सिर्फ लड़के ही नहीं बल्कि इनकी जमात में लड़कियां भी शामिल हो रही हैं। इसकी शुरुआत पान गुटखा, तंबाकू आदि से होती है। उन्होंने आबकारी निरीक्षकों को स्कूल, कॉलेजों एवं सार्वजनिक स्थानों पर जाकर युवाओं के नशे से होने वाले दुष्प्रभावों को बताते हुए जागरूक करने के निर्देश दिए।