नई दिल्ली: एम्स के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने की सरकारी नीतियों एवं संचार रणनीतियों की निंदा करते हुए कहा है कि इन्हें महामारी से निपटने वाले विशेषज्ञों और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बजाए नौकरशाह चला रहे हैं। एम्स में जठरांत्र विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. अनूप सराया ने ‘इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के संपादक को लिखे पत्र में कहा कि वैज्ञानिकों के किसी भी सलाहकार समूह की सफलता ”खुलेपन की संस्कृति, स्वतंत्रता और विचारों की विविधता” पर निर्भर करती है।
उन्होंने लिखा, ”दुर्भाग्य की बात यह है कि वैश्विक महामारी पर सरकार की वैज्ञानिक सलाहकार समितियों के संदर्भ में खुलेपन की यह संस्कृति नजर नहीं आती। संभवत: इसका कारण यह है कि इन समितियों में केवल सरकारी कर्मी ही सदस्य हैं।”
डॉ. सराया ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी और समाज पर इसके प्रभाव से निपटने के लिए केवल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और नीति निर्माताओं के कदमों से काम नहीं चलेगा।
उन्होंने नीति निर्माण की प्रक्रियाओं और नीतियों के क्रियान्वयन में शामिल विविध संगठनों एवं व्यक्तियों और सभी स्तर पर सरकारों एवं नागरिकों के बीच संवाद की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. सराया ने कहा कि अनिश्चित समस्याओं को लेकर नीतियां बनाने में वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की अहम भूमिका होती है।
आपको बता दें, दिल्ली में शुक्रवार को कोरोना वायरस के 1,330 नये मामले सामने आये जिससे शहर में इसके कुल मामले बढ़कर 26,000 के पार हो गए। वहीं मृतक संख्या बढ़कर 708 हो गई। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। अब तक के सबसे अधिक 1513 नये मामले तीन जून को सामने आये थे।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को जारी एक बुलेटिन में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 708 और कुल मामले बढ़कर 26,334 हो गए हैं। बुलेटिन में कहा गया कि कुल 58 मौतें होने की जानकारी चार जून को आयी जो कि चार मई और तीन जून के बीच हुईं थीं। इनमें से 25 मौतें तीन जून को हुईं।