सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलंदशहर। न्यायालय के ग्रीष्मकालीन अवकाश एवं कोरोना कर्फ्यू के बाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश अनुसार न्यायालय को विधि कार्य करने हेतु खोला गया जिसमें न्यायिक अधिकारी गण एवं अधिवक्ता गणों ने अनेक वादों पर कार्य किया। और आज से न्यायालयों में विधि कार्य शुरू हो गया है सभी अपने – अपने वादों की पैरवी कर सकते हैं।
सुमन तिवारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बुलंदशहर द्वारा बताया गया कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश अनुसार जनपद न्यायाधीश डॉ अजय कृष्ण विश्वेश के निर्देशन में न्यायालय में केवल आवश्यक मामलों को ही देखेंगे जैसे कि लंबित और ताजा जमानत, रिहाई, धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान की रिकॉर्डिंग, रिमांड, विविध का निपटान। अत्यावश्यक आपराधिक आवेदन, समय-समय पर जारी उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के निर्देश, और नागरिक प्रकृति के अत्यावश्यक मामलों (जैसे निषेधाज्ञा के मामले और नागरिक प्रकृति के अन्य आवेदन) पर भी अत्यावश्यकता के अनुसार सुनवाई की जा सकती है।
अन्य दीवानी मामलों (जैसे नए वादों की संस्था आदि) की तात्कालिकता स्थानीय स्तर पर तय की जा सकती है और इसकी सुनवाई के लिए आदेश दिया जा सकता है। 08 से अधिक न्यायिक अधिकारियों को ऐसे मामलों को रोटेशन/समय दर स्लॉट (जहां लागू हो) द्वारा सौंपा जाएगा। मामलों का निर्णय/निपटान करते समय पारित सभी आदेश सीआईएस में अपलोड किए जाएं। आवेदनों के निपटान, आदेश पारित करने/अपलोड करने, जमानत बांड स्वीकार करने, जारी करने के आदेश आदि के संबंध में आपकी ओर से स्थानीय तंत्र विकसित किया जा सकता है।
न्यायालय में 30% से अधिक कोर्ट स्टाफ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों सहित को विशेष दिनांक पर जो लागू हो ड्यूटी सौंपी जाएगी तथा कोविड-19 महामारी की रोकथाम को ध्यान में रखते हुए सभी कार्य किए जाएंगे।