सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलन्दशहर भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है की जब जब धर्म की हानि होती है। अधर्म और पाप का बोलबाला होता है। तब तब धर्म की स्थापना के लिए में अवतरित होता हूं। वहीं श्रीमदभागवत पुराण के बारहवें स्कन्द में लिखा है और उसके अनुसार भगवान का कल्कि अवतार कलयुग के अंत और सतयुग के संधि काल में होगा।
शास्त्रों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यही कारण है कि इस तिथि को ‘कल्कि जयंती’ उत्सव रूप में मनाया जाता है। कल्कि अवतार के जन्म समय ग्रहों की जो स्थिति होगी उसके बारे में दक्षिण भारतीय ज्योतिषियों की गणना के अनुसार, जब चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र और कुंभ राशि में होगा। सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में गोचर करेगा। गुरु स्वराशि धनु में और शनि अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान होगा ओर भगवान विष्णु का यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। जबकि भगवान राम के अंदर 12 कलाएं ओर श्री कृष्ण के अंदर 16 कलाएं बताई गई है जो कि आज तक श्री कृष्ण से अतिरिक्त कलाएं किसी मे नही पाई गई है अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि 64 कलाओं से युक्त भगवान कल्कि अवतार लेने जा रहे है तो पाप किस सीमा तक भारी पड़ेगा जिसके लिए 64 कलाओं से युक्त भगवान को जन्म लेना पड़ जायेगा ।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है जिसका अभी प्रथम चरण ही चल रहा है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2017= 5119 वर्ष कलियुग के बीत चुके हैं और 426881 वर्ष अभी बाकी है ।और अभी से ही कल्कि की पूजा, आरती और प्रार्थना शुरू हो गई है। वहीं जानकारों का कहना है कि ये अभी से नहीं करीब पौने तीन सौ साल से उनकी पूजा जारी है।भगवान विष्णु अब से पहले 9 अवतार इस पृथ्वी पर ले चुके है जो इस प्रकार है पहले तीन अवतार, मत्स्य, कूर्म और वराह प्रथम महायुग में अवतीर्ण हुए। पहला महायुग सत्य युग या कृत युग है। नरसिंह, वामन, परशुराम और राम दूसरे अर्थात् त्रेतायुग में अवतरित हुए। कृष्ण और बुद्ध द्वापर युग में अवतरित हुए। इस समय चल रहा युग कलियुग है और भागवत पुराण की भविष्यवाणी के आधार पर इस युग के अंत में कल्कि अवतार होगा। इससे अन्याय और अनाचार का अंत होगा तथा न्याय का शासन होगा जिससे सत्य युग की फिर से स्थापना होगी ।
भगवान विष्णु का कल्कि अवतार सनातन धर्म के धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार से सम्बंधित एक श्लोक का उल्लेख किया गया है। जो ये दर्शाता है की कलयुग में भगवान का कल्कि अवतार कब और कहां होगा और उनके पिता कौन होंगे । (सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणस्यमहात्मनः भवनेविष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति ।।)
अर्थात भारत के उत्तर प्रदेश में जनपद व गॉव सम्भल में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा। ये देवदत्त नाम के सफेद घोड़े पर सवार होकर अपनी तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे। तभी सतयुग प्रारम्भ होगा। भगवान विष्णु का कल्कि अवतार निष्कलंक अवतार के नाम से भी जाना जाएगा। इस अवतार में उनकी माता का नाम सुमति होगा। इसके अलावा इनके तीन बड़े भाई भी होंगे जो सुमंत,कवि और प्राज्ञ के नाम से जाने जाएंगे। याज्ञवलक्य जी उनके पुरोहित और भगवान परशुराम गुरु होंगे।
भगवान श्री कल्कि की दो पत्नियां होंगी -लक्ष्मी रुपी पदमा और वैष्णवी रुपी रमा। उनके पुत्र होंगे जय,विजय,मेघमाल और बलाहक। पुराणों में बताया गया है की कलयुग के अंत में भगवान ये अवतार धारण करेंगे और अधर्मियों का अंत करके फिर से धर्म की स्थापना करेंगे। अभी कलयुग का कुछ समय ही बीता है। इसीलिए माना जाता है कि अभी इस अवतार के होने में काफी समय है।वहीं ‘अग्नि पुराण’ के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेंगे ।पुराणों के अनुसार कलयुग के अंतिम पहर में कुछ ऐसा भी देखने को पाया जा सकता है।
जैसे कलियुग के पांच हजार साल बाद गंगा नदी सूख जाएगी और पुन: वैकुण्ठ धाम लौट जाएगी। जब कलियुग के दस हजार वर्ष हो जाएंगे तब सभी देवी-देवता पृथ्वी छोड़कर अपने धाम लौट जाएंगे। इंसान पूजन-कर्म,व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे।
अन्न और फल नहीं मिलेंगे-
एक समय ऐसा आएगा,जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे। धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी। गाय दूध देना बंद कर देगी।
कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा।
अनैतिक चीजें
लोग देखने-सुनने और पढऩे लगेंगे ।कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों की पसंद हो जाएगा। बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा।
स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगे ।स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे। स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे।
कलयुग में चोर और अपराधियों की संख्या इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि आम इंसान ठीक से जीवन जी नहीं पाएगा। लोग एक- दूसरे के प्रति हिंसक हो जाएंगे और सभी के मन में पाप प्रवेश कर जाएगा।
कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। भगवान कल्कि सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे और बहुत सालों तक विश्व पर शासन कर धर्म की स्थापना करेंगे। कलयुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी,जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद 1,70,000 वर्षों का संधिकाल (एक युग के अंत और दूसरे युग के प्रारंभ के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं)। संधिकाल के अंतिम चरण में एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी और पुनः सत्ययुग का प्रारंभ होगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार जब-जब धर्म की हानि होती है, ईश्वर अवतार लेकर अधर्म का अंत करते हैं। हिन्दू धर्म में इस संदेश के साथ अलग-अलग युगों में जगत को दु:ख और भय से मुक्त करने वाले ईश्वर के कई अवतारों के पौराणिक प्रसंग हैं। दरअसल, इनमें सच्चाई और अच्छे कामों को अपनाने के भी कई सबक हैं। साथ ही इनके जरिए युग के बदलाव के साथ प्राणियों के कर्म, विचार व व्यवहार में अधर्म और पापकर्मों के बढ़ने के भी संकेत दिए गए हैं ।कलयुग की आयु 4,32,000 वर्ष तक आकि गई है ।
वहीं देवताओं के इन दिव्य वर्षो के आधार पर चार युगों की मानव सौर वर्षों में अवधि इस तरह है –
सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17,28,000 (सौर वर्ष)
त्रेतायुग 3600 (दिव्य वर्ष) 12,96,100 (सौर वर्ष)
द्वापरयुग 2400 (दिव्य वर्ष) 8,64,000 (सौर वर्ष)
कलियुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4,32,000 (सौर वर्ष)
कलियुग में 16 वर्ष की आयु में ही लोगों के बाल पक जाएंगे और वे 20 वर्ष की आयु में ही वृद्ध हो जाएंगे। युवावस्था समाप्त हो जाएगी। यह बात सच भी प्रतीत होती है,क्योंकि प्राचीन काल में इंसानों की औसत उम्र करीब 100 वर्ष रहती थी।उस काल में 100 वर्ष से कहीं अधिक जीने वाले लोग भी हुआ करते थे, लेकिन आज के समय में इंसानों की औसत आयु बहुत कम (60-70 वर्ष) हो गई है। भविष्य में भी इंसानों की औसत उम्र में कमी आने की संभावनाएं काफी अधिक हैं,क्योंकि प्राकृतिक वातावरण लगातार बिगड़ रहा है और हमारी दिनचर्या असंतुलित हो गई है।
पुराने समय में लंबी उम्र के बाद ही बाल सफेद होते थे,लेकिन आज के समय में युवा अवस्था में ही स्त्री और पुरुष दोनों के बाल सफेद हो जाते हैं। जवानी के दिनों में बुढ़ापे के रोग होने लगते हैं।पुरुष होंगे स्त्रियों के अधीन-भगवान नारायण ने स्वयं नारद को बताया है कि कलियुग में एक समय ऐसा आएगा जब सभी पुरुष स्त्रियों के अधीन होकर जीवन व्यतीत करेंगे। हर घर में पत्नी ही पति पर राज करेगी। पतियों को डाट-डपट सुनना पड़ेगी,पुरुषों की हालत नौकरों के समान हो जाएगी।
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार जब जब धरती पर पाप बढ़ा है। तब तब भगवान विष्णु किसी ना किसी रूप में धरती पर पापियों का विनाश करने के लिए प्रकट हुए हैं। शास्त्रों में विष्णु जी के दस अवतार का उल्लेख मिलता है। इनमें से अब तक वे नौ अवतार ले चुके हैं। उसके बाद कलयुग में जन्म लेकर पुनः धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि अवतार आज भी लोगों के लिए एक रहस्य है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कल्कि अवतार का वर्णन।
(पंडित सुरेश चंद शास्त्री)