गड्ढों में दफन होती जिंदगियां: गौतमबुद्ध नगर की सड़कें बनी मौत का जाल

• पीडब्ल्यूडी और भ्रष्ट ठेकेदारों की मिलीभगत से जनता की कमर टूटी, प्रतीक एंटरप्राइजेज ने फिर उड़ाया नियमों का मखौल
• टेंडर के नाम पर लूट, निर्माण के नाम पर माफिया, सड़क पर मौतें और अफसर बेफिक्र

गौतमबुद्ध नगर। गौतमबुद्ध नगर जिले में प्रशासन की लापरवाही और ठेकेदारों की लूट ने सड़कों को कब्रगाह बना दिया है। रोड टैक्स के नाम पर जनता से करोड़ों वसूलने वाली सरकार और उसके मातहत अधिकारी जब जवाबदेही से मुंह मोड़ते हैं, तो सड़कें गड्ढों से नहीं, लाशों से पटने लगती हैं। चिपियाना बुजुर्ग से गुजरने वाला जाट चौक–प्राइमरी स्कूल मार्ग इसका सबसे क्रूर उदाहरण है, जहां पिछले कुछ महीनों से सड़क नहीं, सिर्फ गड्ढे हैं। हर दिन हादसे हो रहे हैं, लोग घायल हो रहे हैं, गाड़ियां चकनाचूर हो रही हैं और सरकारी सिस्टम चुप्पी की चादर ओढ़े बैठा है। ढाई साल पहले पीडब्ल्यूडी द्वारा प्रतीक एंटरप्राइजेज नाम की पहले से बदनाम कंपनी को यह सड़क बनाने का ठेका दिया गया था। गाजियाबाद नगर निगम द्वारा ब्लैकलिस्टेड इस कंपनी को दोबारा काम देना ही अपने आप में एक महाघोटाले की बू देता है।

दिन का नजारा

सड़क बनी, और कुछ महीनों में ही उसके नीचे से मानो नींव गायब हो गई। गड्ढों का आकार इतना खतरनाक हो चुका है कि हर 50 मीटर पर मौत दस्तक देती है। बरसात में ये गड्ढे पानी से भर जाते हैं, जिससे सड़क और गड्ढे का फर्क ही खत्म हो जाता है। दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह रास्ता सीधे अस्पताल का टिकट बन चुका है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह सड़क हादसों की प्रयोगशाला बन चुकी है। रोज कोई न कोई घायल होता है। लोग बताते हैं, नई बाइक हो या कार, एक बार इस रास्ते पर चला दो, तो 6 महीने में गाड़ी वर्कशॉप पहुंच जाती है और कमर अस्पताल।  सवाल ये उठता है कि पीडब्ल्यूडी विभाग आंख मूंदकर आखिर कैसे एक विफल और घटिया कंपनी को बार-बार टेंडर देता है? क्या इसमें अफसरों की जेब भरने का खेल नहीं? स्थानीय लोगों का दावा है कि टेंडर से लेकर भुगतान तक अफसर और ठेकेदारों के बीच करोड़ों की कमिश्नखोरी होती है। नतीजा यह होता है कि सड़क में सीमेंट और गिट्टी कम, भ्रष्टाचार की परतें ज़्यादा होती हैं।

रात का नजारा

जब किसी ने इस सड़क की हालत को लेकर शिकायत की तो अधिकारी या तो फोन नहीं उठाते या फिर उसी सड़क पर पेचवर्क के नाम पर फिर से कमाई शुरू कर देते हैं। यह ‘रिपेयर करके दोबारा लूट’ का सड़ांध मारता हुआ सिस्टम बन चुका है। यह सिर्फ सड़क की दुर्दशा नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की असफलता और भ्रष्टाचार का वीभत्स चेहरा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही गड्ढा मुक्त सड़कों की बात कर रहे हों, लेकिन जिले के अफसर उनकी योजना को खुलेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। बरसात के मौसम में इस सड़क की हालत और भी भयावह हो जाती है। पानी भरने से गड्ढे दिखाई नहीं देते और राहगीर या वाहन चालक सीधे उनमें गिर जाते हैं।

हर दिन हादसे हो रहे हैं लोग चोटिल हो रहे हैं, गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो रही हैं और ज़िंदगी असहाय हो चली है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सिर्फ एक सड़क की कहानी नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की पोल खोलने वाली स्थिति है। जब तक सड़क निर्माण में गुणवत्ता की बजाय कमीशनखोरी को तरजीह दी जाती रहेगी, तब तक जनता इसी तरह हादसों की शिकार होती रहेगी। अब जनता की मांग साफ है घटिया निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदार अफसरों और प्रतीक एंटरप्राइजेज पर कार्रवाई हो। साथ ही सड़क की पुन: गुणवत्तापूर्ण मरम्मत की जाए, ताकि यह रास्ता फिर से सफर के लायक बन सके, मौत के कुएं जैसा नहीं।

अब स्थानीय लोगों की मांग है कि

प्रतीक एंटरप्राइजेज को प्रदेशभर में ब्लैकलिस्ट किया जाए।

पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदार अफसरों पर विभागीय जांच व मुकदमा चले।

पूरे सड़क निर्माण की सीबीआई या विजिलेंस जांच हो।

और सबसे अहम, इस सड़क की दोबारा निर्माण उच्च गुणवत्ता के साथ कराया जाए।