IN8@फिरोजपुर झिरका ,….. प्रदेश सरकार ने पहली अप्रैल बृहस्पतिवार से सरकारी खरीद शुरू करने के आदेश जारी कर दिए लेकिन सरकार द्वारा दी गई हिदायत के बावजूद भी फिरोजपुर झिरका की अनाज मंडी किसानों के बिना सूनी दिखाई दी।
मार्केट कमेटी के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 5 बजे तक आठ गेट पास जारी हुए और लगभग 275 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई। इसके अलावा सरसों के 13 गेेेट पास जारी हुए । जिनमें लगभग 239 क्विंटल सरसों प्राइवेट एजेंसी द्वारा खरीद की गई । जानकारी मिली कि मंडी के बाहर सरकारी रेट से अधिक भाव मिलने के चलते किसान अपनी फसल मंडी लेकर नहीं पहुंच रहे हैं। उधर खरीद के लिए अधिकृत किए गए हरियाणा वेयर हाउसिंग बोर्ड और खाद्य आपूर्ति विभाग तथा मार्केट कमेटी के अधिकारी मौके पर बने हुए थे।
सरसों और गेहूं की सरकारी खरीद के लिए प्रदेश सरकार ने नूंह जिले के तावडू, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका और नूंह में खरीदी केंद्र स्थापित किए हैं। इस बार सरकार ने गेहूं का एमएसपी रेट यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये रखा है। जबकि सरसों का एमएसपी रेट 4650 रुपये निर्धारित किया है। लेकिन इस सरकारी रेट से मंडी के बाहर किसानों को उनकी दोनों फसलों यानी गेहूं और सरसों का ऊंचा भाव मिल रहा है। अब ऐसे में किसान क्यों अपनी फसल लेकर मंडी आएंगे जब उन्हें बाहर एमएसपी से अधिक भाव मिल रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार किसानों को मंडी से बाहर गेहूं का भाव 2000 से 2050 तो वहीं सरसों का भाव 5100 रुपये से अधिक मिल रहा है। जिससे शहर में सरसों की प्राइवेट खरीद करने वाले व्यापारी दिन रात सरकार की राजस्व की चोरी करते हुए अपने गोदामों को दिनों दिन सरसों से लबालब भरने में लगे हुए हैं। बड़े स्तर पर जमाखोरी कर उसका फायदा उठाने में लगे हुए हैं। सरसों की जमाखोरी बढऩे से आए दिन तेल के भाव बढ़ते जा रहे हैं। जिसका असर आम नागरिकों पर पड़ता दिखाई दे रहा है। विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कोई जांच पड़ताल या कानूनी कार्रवाई नहीं होने केे चलते सरसों की कालाबाजारी करने वालों के हौसले बुलंद है। लोगों का कहना है कि अगर जिला प्रशासन विभाग सही ढंग से जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करें तो सरकार को लाखों रुपए के राजस्वव का फायदा होगा।