जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर रोकने को महिला आयुष चिकित्सक तैयार

फर्रुखाबाद। डॉ. राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय (महिला) में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) के सहयोग से फर्रुखाबाद, कासगंज, एटा, कन्नौज और हरदोई में तैनात आयुष महिला चिकित्सा अधिकारियों को पांच दिवसीय स्किल बर्थ अटेंडेंट का प्रशिक्षण दिया गया।

इस दौरान उनको प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं से निपटने के तरीके सिखाए गए। सोमवार को स्किल बर्थ अटेंडेंट का प्रशिक्षण समाप्त होने के दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दलवीर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का मुख्य उद्देश्य मां और जन्म के समय होने बाली नवजात की मृत्यु दर को कम करना है। यह तभी संभव हो सकता है जब हर गर्भवती गर्भ के दौरान व प्रसव के समय स्किल बर्थ अटेंडेंट की सेवाएं लें।

डॉ राम मनोहर लोहिया महिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. कैलाश दुल्हानी ने प्रशिक्षण के दौरान आयुष महिला चिकित्सा अधिकारियों को प्रसव पूर्व, प्रसव के समय तथा बाद में होने वाली जटिलताओं की पहचान व उसके निदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना कटारिया ने महिला चिकित्सकों को जन्म के समय शिशुओं को होने वाली जटिलता की पहचान व निदान, संक्रमण से बचाव की जानकारी, गर्भवती से संबंधित सभी जांचें, उपकरणों का उपयोग व दवाइयों के संबंध में जानकारियां दी। जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता अतुल गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में लगभग एक लाख पर 197 गर्भवती प्रसव के दौरान या उससे पहले असमय काल के गाल में समा जाती हैं।

जनपद की बात करें तो इस वित्तीय वर्ष में लगभग 63,000 महिलाओं के गर्भवती होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि इसी को देखते हुए प्रसव के दौरान गर्भवती और उसके होने बाले शिशु की मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। आशा के माध्यम से गर्भवती की निगरानी की जाती है।उनके टीकाकरण से लेकर प्रसव पूर्व व प्रसव के बाद की सेवाओं पर नजर रखी जा रही है। इस दौरान उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई से डीटीएस डॉ अभिलाष, नर्स मेंटर पूजा मौजूद रहीं।