विनोद पांडेय@ गाजियाबाद। वैशाली में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण चार साल की मासूम बच्ची की जान चली गई। पैर चोटिल होने के कारण पीडि़ता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आरोप है कि आवश्यकता होने के बावजूद बच्ची को ऑक्सीजन नहीं दी गई थी। पीडि़त परिवार ने इस प्रकरण में जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी से शिकायत कर अस्पताल प्रबंधन के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की है। वैशाली सेक्टर-2 में नितिन मुकेश गुप्ता सपरिवार रहते हैं। नितिन की बेटी बार्बी (4) गत 13 मई को खेलते समय चोटिल हो गई थी। उन्होंने हड्डी के डॉक्टरों को दिखाया। इसके बाद बेटी का पेट फूलने लगा। 15 मई की शाम को वह बेटी को कौशाम्बी के एक अस्पताल में ले गए। वहां से डॉक्टरों ने उसे दूसरे अस्पताल में भेज दिया। इसी दिन शाम 7 बजे नितिन ने बेटी बार्बी को मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल वैशाली सेक्टर-1 में दिखाया। देर रात डॉक्टरों ने बच्ची की हालत गंभीर बताकर उसे वेंटिलेटर पर कर दिया। 16 मई की सुबह करीब साढ़े पांच बजे डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। इकलौती बेटी की मौत की खबर पर परिजनों को यकीन नहीं हुआ।
उनका कहना है कि अस्पताल में उपचार के दौरान बार्बी निरंतर डॉक्टरों के साथ बातचीत कर रही थी। अचानक उसकी मौत होना समझ से परे है। आरोप है कि ऑक्सीजन की जरूरत होने के बाद भी बच्ची को इमरजेंसी बैड पर लिटाए रखा गया था। उसे ऑक्सीजन नहीं लगाई गई। इमरेंजेसी प्रभारी का व्यवहार ठीक नहीं था। काफी अनुरोध के बाद ऑक्सीजन लगाई गई। यशोदा अस्पताल ने रैफर किए जाने के दौरान बच्ची के उपचार के संबंध में कुछ सलाह दी थी, मगर मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने उस सलाह को दरकिनार कर दिया। आरोप है कि लापरवाही के कारण बार्बी की जान गई है। डीएम और सीएमओ से इस प्रकरण में उचित कार्रवाई करने की अपील की गई है। यह भी आरोप है कि बच्ची की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन से एक लाख रुपए से ज्यादा चार्ज वसूलने के बाद ही शव दिया।इस मामले पर जब मैक्स अस्पताल के डाक्टरों बात करना चाहा तो उन्होंने को जबाव नहीं दिया।