ड्रग इंस्पेक्टर को स्टोर में पाई गई धूल फ्रिज तक नहीं मिला उसके बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं

सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलंदशहर। गुरूवार को ड्रग इंस्पेक्टर ने नगर क्षेत्र के ज्ञान लोक कॉलोनी में स्थित ओम मेडिकल स्टोर पर छापा मार दिया। ओम मेडिकल स्टोर में काफी कमी पाई गई। फार्मासिस्ट उपलब्ध नहीं था। फ्रिज दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिया। उसके बावजूद भी सांठगांठ करके ड्रग इंस्पेक्टर और उसकी टीम ने मेडिकल स्टोर संचालक शिवकुमार को दोनों हाथों से आशीर्वाद दिया।

ओम मेडिकल स्टोर के अंदर दवाइयों पर धूल जमी हुई थी। काउंटर पर बिल काटने का कोई उपकरण भी नहीं मिला। जिससे ओम मैडीकल स्टोर संचालक में खलबली मच गयी। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर के ज्ञानलोक कालौनी में ड्रग इंस्पेक्टर दीपा लाल ने ओम मैडीकल स्टोर पर छापा मारा।

छापे की कार्रवाई की बात सुनकर ओम मैडीकल स्टोर संचालक शटर गिराकर जाने लगा। इस दौरान जब मीडिया कर्मियों को पता लगा की ड्रग इंस्पेक्टर ने मैडकील स्टोर पर छापा मारा है जब तक मीडियाकर्मी पहुंचे तो तब तक ड्रग इंस्पेक्टर निकल चुकी थी। बताया जा रहा है कि जिस ओम मैडकील स्टोर पर छापा मारा गया वह बगैर मानक के चल रहा है और न जाने कितने ही ऐसे मैडीकल स्टोर है जो कि बिना मानकों के चल रहे हैं।

हांलाकि यह पहला मामला नहीं है जब ड्रग इंस्पेक्टर ने किसी मैडकील स्टोर पर छापा मारा है इससे पहले भी कितने ही मैडीकल स्टोरों पर छापा मारा जा चुका है और आज भी बिना मानकों के चल रहे हैं लेकिन उन पर कार्रवाई के नाम पर बस जांच की बात की जाती है और देखते देखते मैडीकल फिर से सुचारू रूप से संचालित हो जाते हैं।

देखना यह होगा कि अब ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा कितने मैडीकल स्टोरों पर छापा मारकर कार्रवाई की जाती है या फिर यह हर बार की तरह ढुलमुल रवैया दिखाते हुए इन्हें फिर से हरी झंडी दे दी जाती है। इसमें कहीं न कहीं मिली भगत की बू आ रही है।

नगर में लगभग एक हजार के करीब मैडीकल स्टोर हैं जिनमें से लगभग पचास प्रतिशत ही नियम के अनुरूप संचालित हैं। नगर के हर मौहल्ले में कई कई मैडीकल स्टोर मिल जायेंगे जिनका रजिस्ट्रेशन भी नहीं है और नियम के विरूद्ध संचालित हैं। सवाल यह खड़ा होता है कि आखिरकार बगैर रजिस्ट्रेशन या बिना नियमों के यह मैडीकल स्टोर किसकी शह पर चल रहे हैं।

आखिर ऐसे मैडीकल स्टोरों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है और यदि कार्रवाई की जाती है तो ऐसे मैडीकल स्टोरों को दोबारा हरी झंडी कैसे दे दी जाती हैं। ऐसे में यदि कोई मैडीकल पर गलत दवा दे देता है तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन?