iN8@ नयी दिल्ली। क्या हमें चप्पलें पहने विमान में बैठने दिया जाएगा? जब विमान उड़ान भरेगा, तो कैसा लगेगा? क्या हम सुरक्षित होंगे?… इसी तरह के तमाम प्रश्न उन 10 प्रवासी श्रमिकों के दिमाग में घूम रहे थे, जिन्हें उनके नियोक्ता एवं दिल्ली के एक किसान ने उनके गृह राज्य बिहार विमान से भेजने की व्यवस्था की और वे पहली बार विमान में सवार हुए। पहली बार विमान में बैठने वाले इन श्रमिकों में शामिल नवीन राम ने पटना पहुंचने के बाद कहा कि हवाईअड्डे की औपचारिकताओं को देखकर डर लग रहा था, लेकिन उन्होंने एक अधिकारी की मदद मांगी, जिसने उन्हें विमान तक पहुंचाया। नवीन ने कहा कि उत्साहित और डरे हुए प्रवासी श्रमिक जब सीटों पर बैठे और विमान ने उड़ान भरी तो कुछ ने तो डर के कारण अपनी आंखें बंद कर लीं। बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले ये श्रमिक कोरोना वायरस को काबू करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण दिल्ली में फंस गए थे।
उन्होंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि उन्हें विमान में बैठने का मौका मिलेगा, लेकिन दिल्ली में मशरूम की खेती करने वाले उनके नियोक्ता पप्पन सिंह ने इन श्रमिकों के लिए टिकटों का प्रबंध किया। नवीन ने कहा कि उन्हें यह अनुभव हमेशा याद रहेगा। उसने कहा कि जब हम जूट के थैले लिए और चप्पल पहने हवाईअड्डे पर पहुंचे तो लोग हमें घूर रहे थे। 27 वर्षीय नवीन ने फोन पर कहा, ‘‘हमने उनकी तरह अच्छे कपड़े नहीं पहने थे। हमें नहीं पता था कि हमें हवाईअड्डा पहुंचने के बाद क्या करना है क्योंकि हम पहले कभी विमान में नहीं बैठे। हमने वहां एक अधिकारी की मदद ली।’’ जब देश में प्रवासी मजदूरों के भूख-प्यास से लड़ते हुए तमाम मुश्किलों के बाद पैदल, साइकिलों, बसों और ट्रेनों से अपने गृह राज्यों की ओर जाने की कहानियां सामने आ रही हैं, तब ऐसे में प्रवासी मजदूरों के इस समूह की रोमांचक यात्रा विमान के पटना उतरने पर समाप्त नहीं हुई।
इस समूह में शामिल एक अन्य प्रवासी श्रमिक जितेंद्र राम ने बताया कि जब वे दिल्ली से सुबह छह बजे की उड़ान से पटना हवाईअड्डा पहुंचे तो कई मीडियाकर्मी उनसे बात करने के लिए इंतजार कर रहे थे। जितेंद्र ने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं सोचा था कि हम खबरों में आएंगे। मेरे दोस्त ने मुझे फोन किया और बताया कि वह मुझे समाचार चैनल पर देख रहा है। हम इस शानदार अनुभव को हमेशा याद रखेंगे।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वे लॉकडाउन समाप्त होने के बाद दिल्ली आएंगे, नवीन ने कहा, ‘‘निश्चित ही जब हमारे मालिक (नियोक्ता) हमें बुलाएंगे, हम दिल्ली आएंगे।’’ पप्पन सिंह ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं कि वे अंतत: अपने गृहराज्य पहुंच गए।’’