गाजियाबाद। शहर के स्कूलों में दुर्गा पूजा और दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया। नन्हें-मुन्नों की प्रस्तुति ने सभी सराबोर किया। रामलीला का मंचन उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर गया। गौतम पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल पी ब्लॉक प्रताप विहार में शुक्रवार को असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दुर्गा पूजा तथा दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया गया। स्कूल में बच्चों ने विजय दशमी पर्व से संबंधित मनमोहक लघु नाटिका प्रस्तुत की। इसमें दर्शाया गया कि किस प्रकार मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके दुष्टों का संहार किया। इस अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव आदि के परिवेश में नन्हे मुन्ने सभी के मन को मोह रहे थे।
बच्चों ने रघुपति राघव राजा राम, राम जी की निकली सवारी, कभी राम बन के, जय सीया राम आदि गीतों पर नृत्य प्रस्तुत करके अपनी प्रतिभा से सभी को आकर्षित किया। स्कूल परिसर में श्रीराम और रावण के बीच युद्ध की लीला का मंचन किया गया। इसके बाद रावण के पुतले को दहन कर बुराई की पराजय का संदेश दिया। स्कूल की छात्राओं ने माँ दुर्गा के नौ रूपों की प्रस्तुति दी। रक्तबीज और महिषासुर बध भी छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके साथ छात्र- छात्राओं ने रंग बिरंगे वस्त्र पहनकर भगवान राम और रावण बनकर रामलीला का मंचन किया।
प्रधानाचार्या पूनम गौतम ने सभी को दशहरा की बधाई देते हुए कहा दशहरा अनेक सामाजिक, नैतिक संदेश देता है। ये त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है। रावण का अंत गवाह है कि अधर्म और अहंकार का अंत निश्चित है। भगवान राम की जीवन गाथा हमें धैर्य, करुणा, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का महत्व सिखाती है। दशहरा भारत के प्रमुख त्योहारो में से एक है यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दशहरा, हमें सच्चाई और अच्छाई के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है, हमें बुरी आदतें त्यागने और हमें धैर्य, करूणा, त्याग कर्तव्यनिष्ठा और सदगुण अपनाने का संदेश देता है।
माँ दुर्गा से सीखे जीवन जीने का सीख अपने लक्ष्य पर टिके रहने के लिए देवी दुर्गा के जीवन रहस्य और स्तुति से सीख लेनी चाहिए। जिससे कि जीवन में हमे सफलता मिले। देवी दुर्गा के रूप को देखा जाए तो उनके आठ हाथ है और हर हाथ में एक हथियार है। जो ये बताने के लिए है कि उनकी शक्ति अपार है। माँ दुर्गा के रूप से सीख लेनी चाहिए और अपने अंदर की शक्ति को जरूर पहचानना चाहिए जिसकी मदद से हर काम को करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
उपप्रधानाचार्या तनुजा ने सभी को दशहरा पर्व की बधाई देते हुए बच्चों को रामचंद्र की कहानी सुनाकर सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक और शौर्य की उपासक है। विजयदशमी अनैतिकता पर नैतिकता और मानवता की विजय का पर्व है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हम सिर्फ अपनी चिंता न करें, बल्कि व्यक्तिगत स्वार्थ और फायदों से उठकर मानव कल्याण के लिए कार्य करें तथा दूसरों के हित का भी ध्यान रखें, तभी सही मायनों में यह मानवता की विजय का पर्व होगा। इस अवसर पर एकेडमिक हेड चेतन शर्मा के साथ सभी अध्यापकगण उपस्थित रहे।