गाजियाबाद। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां अधिकारियों और कर्मचारियों को जनसेवा का पाठ पढ़ा रहे हैं, वहीं गाजियाबाद में एक पटवारी ऐसा भी है जो सरकारी सिस्टम को अंगूठा दिखा रहा है। जिले की तहसील सदर में तैनात पटवारी रामवीर सिंह बिरदी न सिर्फ प्रशासनिक आदेशों की अनदेखी कर रहा है, बल्कि अपने बर्ताव से जनता और अफसर दोनों को झुंझला रहा है।
सदर से मोदीनगर ट्रांसफर होने के दस दिन बीत जाने के बाद भी रामवीर सिंह न तो चार्ज छोड़ने को तैयार हैं और न ही अपने नए कार्यक्षेत्र में जॉइन कर रहे हैं। डीएम दीपक मीणा के स्पष्ट आदेश के बावजूद पटवारी का ये अड़ियल रवैया इस बात का प्रतीक है कि वह खुद को कानून से ऊपर समझने लगा है।
स्टाइल में ‘राजाबाबू’, व्यवहार में जनता विरोधी
रामवीर का कामकाज और व्यवहार दोनों ही जनविरोधी बताए जाते हैं। पीड़ितों के अनुसार वह मिलते नहीं, फोन उठाते नहीं और बात करें तो अभद्रता करते हैं। शिकायत करने पर वह खुद को ‘बड़े अफसर का भाई’ बताकर धमकाता है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि “पटवारी साहब का व्यवहार देखकर लगता है जैसे वह किसी राजा की तरह बैठे हैं, जिन्हें जनता की कोई परवाह नहीं।”
अफसरों की चुप्पी से बढ़ रहा हौसला
सबसे हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले में प्रशासनिक कार्रवाई न के बराबर रही है। कई शिकायतों के बाद भी केवल स्थानांतरण तक ही बात सीमित रह गई। न तो चार्ज जबरन छुड़वाया गया, न ही नए स्थान पर योगदान सुनिश्चित करवाया गया।
प्रशासन को खुद पर उठते सवालों पर देनी होगी सफाई
यह पूरा घटनाक्रम प्रशासनिक मशीनरी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। एक पटवारी अगर खुलेआम डीएम तक के आदेशों की धज्जियां उड़ा सकता है, तो आम जनता उसके आगे कितनी बेबस होगी, यह समझना मुश्किल नहीं।
समाप्ति नहीं, शुरुआत हो ये कार्रवाई की
यह मामला सिर्फ एक पटवारी का नहीं, बल्कि सरकारी सेवा की उस छवि का है जो जनता के बीच लगातार कमजोर होती जा रही है। जरूरत इस बात की है कि ऐसे उदाहरण बनें जो बाकी कर्मचारियों के लिए चेतावनी बनें और जनता के मन में सिस्टम पर भरोसा दोबारा कायम हो।