कांग्रेस पार्टी ने सचिन पायलट को मना लेने की कामयाबी के साथ राजस्थान सरकार के लिए सियासी संकट को भी टाल दिया है। लेकिन यह सवाल अब भी कायम है कि जिस तरह की तल्खी हाल के दिनों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट के खिलाफ दिखाई और उन्हें निकम्मा तक कह डाला, क्या हाथ के साथ दोनों नेताओं के दिल भी मिल पाएंगे? पायलट ने अपने खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्दों को लेकर दर्द बयां किया है तो लगे हाथ गहलोत को राजनीति में संवाद का स्तर बनाए रखने की सलाह भी दी है।
सचिन पायलट ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ”जो कहा गया, मुझे दुख है उस बात का, पीड़ा है, मुझे दर्द भी है कि इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया, लेकिन मैंने इस समय भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी, आज भी नहीं देना चाहता हूं, मैं समझता हूं जिसने जो कहा उसे भूल जाना चाहिए।”
संवाद की मर्यादा कायम रखने की सलाह देते हुए पायलट ने कहा, ”राजनीति में संवाद का जो एक स्तर है, उसे मेंटेन करना चाहिए। राजनीति में व्यक्तिगत द्वेष, व्यक्तिगत ईर्ष्या, व्यक्तिगत भावना नहीं होनी चाहिए। मुद्दों और नीतियों पर काम करना चाहिए।”