IN8@ आगरा। पत्नी पति से पूरा वेतन मांगती थी। उसे और परिवार के लोगों को आए दिन जेल भिजवाने की धमकी देती थी। काफी प्रयास के बाद भी पत्नी के व्यवहार में बदलाव नहीं आया तो पति ने अदालत ने याचिका प्रस्तुत कर दी।
अपर प्रधान न्यायाधीश पति की याचिका को स्वीकृत करते हुए विवाह को विच्छेद कर पत्नी को स्थाई जीवन निर्वाह के रूप में एक लाख रुपये दिलाने के आदेश किए।
पत्नी का व्यवहार रहा क्रूरतापूर्ण
जगदीशपुरा के रहने वाले अमित ने अदालत में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-13 के तहत मुकदमा प्रस्तुत किया था। जिसके अनुसार उनकी शादी जून 2009 में सुनीता निवासी जसराना फिराेजाबाद से हुई थी। पति का कहना था कि उसने विपक्षिया की प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति की। इसके बावजूद पत्नी का व्यवहार उसके व परिवार के प्रति दुर्भावना पूर्ण एवं क्रूरता पूर्ण तरीके का रहा। उसने वादी पर पूरा वेतन देने और अलग रहने का दबाव बनाया।
दहेज उत्पीड़न में भिजवा चुकी थी जेल
इसके लिए पत्नी ने वादी व उसके स्वजन से अभद्रता पूर्वक व्यवहार कर झूठे मुकदमे लगा जेल भिजवाने की धमकी दी। मायके वालों ने भी पत्नी का पक्ष लिया। पति का आरोप था कि 20 जुलाई 2010 को पत्नी ने दीवार में सिर मारना शुरू कर दिया। छत से कूदने का प्रयास किया। वह 29 जुलाई को जेवरात व कपड़े लेकर मायके चली गई। वादी के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा उसे जेल भिजवा दिया। वादी की याचिका को स्वीकार कर उसके अधिवक्ता शैलेंद्र पाल सिंह उवं शुभम पाल सिंह के तर्क पर अपर प्रधान न्यायाधीश साक्षी शर्मा ने विवाह विच्छेद के आदेश दिए।