सुरेंद्र सिंह भाटी@बुलंदशहर भाजपा एक दशक पहले ब्राह्मणों, बनियों, और राजपूतों की पार्टी मानी जाती थी लेकिन तीनों ही जातियों में भाजपा में सबसे ज्यादा दबदबा ब्राह्मणों का ही होता था, श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बाद अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज ब्राह्मणों ने भाजपा की कमान संभाली, लेकिन राजनीतिक पंडित बताते हैं कि अब भाजपा में ब्राह्मणों का वर्चस्व कम होता जा रहा है उन्हें सत्ता और संगठन दोनों से ही धीरे-धीरे कम किया जा रहा है कई जानकार तो ऐसा भी कहते हैं कि भाजपा अब ब्राह्मणों की पार्टी नहीं रह गई है ।
भाजपा का पूरा फोकस अब दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ी जातियों पर मौजूदा परिस्थिति में हो चुका है जिस कारण ब्राह्मणों की राजनैतिक दुर्दशा भाजपा में बढ़ती जा रही है, जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में ब्राह्मणों की संख्या लगभग 17 प्रतिशत है लेकिन ब्राह्मण भाजपा के लिए दोयम स्तर का वोटर बन चुका है, राजनैतिक सामंजस्य बैठाने के लिए भाजपा ब्राह्मण समाज के एक व्यक्ति को उप मुख्यमंत्री बनाया है, वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश में त्यागी ब्राह्मणों की राजनैतिक दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है ।
आज त्यागी ब्राह्मण अपने राजनैतिक हिस्सेदारी और भागीदारी के लिए आंदोलन के मुहाने पर खड़ा है। त्यागी ब्राह्मणों की जो स्थिति पश्चिम उत्तर प्रदेश में है यही स्थिति पूर्वांचल के ब्राह्मणों की भी है अखिल भारतीय त्यागी भूमिहार किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर त्यागी बताते हैं कि ब्राह्मणों का राजनीतिक इस्तेमाल भाजपा सिर्फ सत्ता में आने के लिए कर रही है, लेकिन जब उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की बात हो रही है या टिकट देने का मौका आता है तो वह दूसरी जातियों पर ब्राह्मणों से अधिक भरोसा कर रही हैं।
या यूं कहें कि भाजपा ब्राह्मणों की मजबूरी को जानती है कि ब्राह्मण हिंदुत्व और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे पर भाजपा के साथ हैं। इसलिए वह भाजपा में ही रहेगा, जिसका फायदा भाजपा ब्राह्मणों के साथ कूटनीति कर उठाने में जुटी है, जिसका सीधा राजनैतिक नुकसान ब्राह्मणों को हो रहा है लेकिन ब्राह्मण अब और अपनी राजनीतिक दुर्दशा नहीं देखना चाहता और यह तय कर चुका है कि जो पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा टिकट देगी, ब्राह्मण अपनी राजनैतिक हिस्सेदारी और भागीदारी को बचाने के लिए उसका पार्टी का समर्थन खुले मंच पर करेगा।
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण अब राजनैतिक मूर्ख नहीं बनना चाहता है उसे हर पार्टी में राजनैतिक हिस्सेदारी और भागीदारी चाहिए, और मैं यह भी साफ कर देना चाहता हूं कि ब्राह्मण किसी भी पार्टी का गुलाम नहीं है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों को एकजुट कर राजनैतिक स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने का समय आ चुका है।