भूस की बोरी में छिपाकर पानीपत से बिहार जा रही थी पंजाब की शराब, आबकारी विभाग ने बीच में बिगाड़ दिया शराब माफिया का खेला

लखनऊ। बिहार में शराबबंदी कानून लागू है लेकिन दूसरे राज्यों से तस्करी के माध्यम से सबसे ज्यादा शराब आ रही है। अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि सबसे ज्यादा शराब की तस्करी पंजाब व हरियाणा से होती है। मगर पिछले कुछ समय से बिहार में होने वाली शराब के धंधे में काफी हद तक रोक लगी है। या यूं कहा जाए कि बिहार में शराब सप्लाई करने वाले पंजाब व हरियाणा शराब के नेटवर्क को तोडऩे में लखनऊ आबकारी विभाग अहम भूमिका निभा रहा है। क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बिहार में शराब सप्लाई के लिए शराब माफिया हर दिन नए प्रयास के साथ अपने कदम बढ़ाने की सोचते है तो उससे दस कदम आगे बढ़कर आबकारी विभाग अपनी कार्रवाई को अंजाम देता है। इन दिनों शराब माफिया पर आबकारी विभाग की रणनीति भारी पड़ रही है। नोएडा, गाजियाबाद के बाद लखनऊ में शराब माफिया की जड़ को खोदने के लिए आबकारी अधिकारी की ठोस रणनीति सार्थक साबित हो रही है। जहां एक तरफ सरकारी खजाने को भरने में आबकारी विभाग अपनी अहम भूमिका निभा रहा है तो वहीं शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई में भी आगे बढ़ रहा है।

शराब माफिया भले ही हरियाणा, पंजाब से शराब ट्रक में भरकर बिहार भेजने के लिए निकल पड़ते हो, मगर जैसे ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कदम रखते ही उनका सामना आबकारी विभाग से रहा है। हाल ही में आबकारी विभाग ने अपनी कार्रवाई में शराब तस्करों इरादों पर पानी फेरते हुए लाखों रुपये की शराब जब्त की थी। इसी क्रम में आबकारी विभाग की टीम ने एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 लाख रुपये से अधिक शराब की खेप बरामद किया है। पकड़ी गई शराब पंजाब मार्का की है। बरामद शराब को माफिया सोनीपत से बिहार में सप्लाई के लिए भेज रहे थे। मगर लखनऊ पहुचते ही आबकारी विभाग की टीम शराब से भरे ट्रक को जब्त कर लिया। शराब माफिया ने पुलिस की आंख में धूल झोंकने के लिए पंजाब मार्का की शराब को भूस की बोरिया में छिपाया हुआ था। जिससे कभी चेकिंग के दौरान पुलिस उन्हें रोके तो भूसा देख कर पीछे हट जाए। क्योंकि भूस की बोरियां खुलते ही बिखर जाएगी और जिसे समेटना इतना आसान नहीं है। इसी का फायदा उठाकर शराब माफिया पानीपत से गाड़ी लेकर ईस्टर्न पेरिफेरल के रास्ते लखनऊ होते हुए बिहार जा रहे थे।

बताया जा रहा है बिहार में शराब सप्लाई के लिए ट्रक चालक को भी इसके अतिरिक्त कमाई होती थी। जिसमें चालक को एक चक्कर के खर्चा-पानी से अलग 30 से 40 हजार रुपये अतिरिक्त मिलते थे और इसके अलावा चेकिंग के दौरान पकड़े जाने पर पुलिस वालों के लिए खर्चा अतिरिक्त दिया जाता था। ट्रक चालकों का पुलिस से भी गहरा नाता है। जिसमें उन्हें पता है कि उन्हें किस चौराहे और किस जिले में पहुंचने पर चेकिंग के दौरान पुलिस वाले को बंद मुठ्ठी में कितने रुपये थमाने है। पुलिस भले ही अपनी जेब गरम करने के लिए ट्रक को आगे बढ़ा दें, मगर आबकारी विभाग की टीम इन सबसे बिल्कुल दूर नजर आती है। आबकारी विभाग ने अपनी कार्रवाई में अभी तक हर बार चालक और पुलिस के खेल को बिगाडऩे का काम किया है। जिसका उदाहरण यह है कि रात में जैसे ही आबकारी विभाग को मुखबिर से सूचना मिली कि पानीपत से ईस्टर्न पेरिफेरल के रास्ते लखनऊ होते हुए पंजाब मार्का की शराब से भरी गाड़ी आने वाली है।

सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए आबकारी अधिकारी ने अपनी टीम तैयार कि और रात में टीम को चेकिंग पर लगा दिया। जैसे ही चालक गाड़ी लेकर लखनऊ पहुंचा तो टीम ने चेकिंग के लिए रोक लिया। पहले तो चालक ने आबकारी विभाग की टीम को ले देकर आगे जाने की बात करने लगा। मगर जब टीम ने गाड़ी की तलाशी के लिए कहा तो बताया कि साहब इसमें भूसा भरा हुआ है…क्या चेक करोंगे कपड़े खराब हो जाएंगे। लेकिन टीम ने जब सख्ती दिखाई तो चालक ने गाड़ी का दरवाजा खोला। जैसे ही टीम ने दरवाजा खोलकर गाड़ी को चेक करना शुरू किया तो चालक की सांस अटक, पहले तो टीम को गाड़ी में भूसे से भरी बोरियां रखी हुई दिखाई दी। जब धीरे-धीरे भूसे की बोरियों को नीचे उतारा गया तो 10, 15 बोरियों के बाद शराब की पेटियां निकलने लगी। टीम ने शराब और गाड़ी को जब्त करते हुए चालक को दबोच लिया।

जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया जिले में अवैध शराब के निर्माण, परिवहन व बिक्री के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। सोमवार देर रात मुखबिर से सूचना मिली कि पानीपत से पंजाब की शराब से भरी पेटी भरकर एक गाड़ी लखनऊ के रास्ते बिहार जाने वाली है। सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए आबकारी निरीक्षक कृष्ण कुमार सिंह, लक्ष्मी शंकर बाजपेई एवं प्रदीप भारती ने अपने प्रधान आबकारी सिपाही विजय कुमार, कुंज बिहारी मिश्रा एवं सिपाही उमेश कुमार के साथ पुलिस के साथ संयुक्त टीम ने शहीद पथ पर (औरंगाबाद अंडरपास के पास) पर वाहनों की चेकिंग शुरू कर दी। चेकिंग के दौरान एक गाड़ी को रुकने का इशारा किया गया। आबकारी विभाग व पुलिस की टीम को देख चालक पहले भागने का प्रयास करने लगा। आबकारी विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने घेराबंदी कर ट्रक चालक को पकड़ लिया। ट्रक के ड्राइवर के केबिन को चेक करने पर गाड़ी के कागजात के साथ-साथ टैक्स इनवॉइस का पेपर भी मिला। जिस पर माल भेजने एवं प्राप्त करने वाली फर्म के रूप में कबीरा एंटरप्राइजेज अमृतसर पंजाब एवं सिलीगुड़ी सप्लायर्स वेस्ट बंगाल अंकित पाया गया।

गाड़ी की तलाशी लेने पर गाड़ी के अंदर से जब गाड़ी के कागज चेक किए गए तो 50 पेटी भूसे की बोरियां और पंजाब में बिक्री के लिए अनुमन्य सीग्राम की इंपीरियल रिजर्व ग्रेन व्हिस्की ब्रांड की 145 पेटी शराब बरामद किया गया। जिसे बिहार प्रांत में बेचने के लिए लखनऊ के रास्ते से बिहार ले जाया जा रहा था। पूछताछ के दौरान ट्रक चालक की पहचान धर्मेंद्र पुत्र आजाद सिंह निवासी जटीपुर सालखना जिला पानीपत हरियाणा के रूप में हुई। चालक को गिरफ्तार कर जेल भेजते हुए बरामद शराब और ट्रक को जब्त कर लिया गया। बरामद शराब की कीमत करीब 11 लाख 60 हजार रुपये है। पूछताछ में चालक ने बताया कि उसे यह ट्रक सोनीपत में प्रदीप दहिया एवं कुलदीप गुलिया द्वारा दिया गया था, जिसे उसे बिहार तक ले जाना था। जिसके लिए ट्रक चालक को एक चक्कर के लिए खर्चा-पानी से अलग 30 से 40 हजार रुपये अतिरिक्त मिलते थे। जिला आबकारी अधिकारी ने बताया चालक से पूछताछ में कई लोगों के नाम सामने आए है, जिनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। बाहरी राज्यों की शराब जिले में बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होगी। सभी आबकारी निरीक्षकों को सख्त निर्देश दिए गए है कि अपने-अपने मुखबिर तंत्र को एक्टिव रखें।

साथ ही बाहरी राज्यों से तस्करी होने वाली शराब को रोकने के लिए प्रभावी रुप से चेकिंग की जाए। अगर किसी के कार्य में लापरवाही सामने आई तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शराब माफिया इतने शातिर है कि बिहार में शराब भेजने के लिए सीधा बिहार के रास्ते नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल के रास्ते बिहार में शराब भेजने की जुगत में थे। गौरतलब हो कि जिला आबकारी अधिकारी की सख्ती के चलते बाहरी राज्यों से बिहार में होने वाली शराब तस्करी के मामले में काफी हद कमी आई है। जिसमें एक तरफ आबकारी विभाग की कार्रवाई से शराब माफिया को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है, तो वहीं बिहार में शराब की आस में बैठे वहां के माफिया की उम्मीद हर बार टूट रही है। पहले नोएडा, गाजियाबाद और अब लखनऊ में आबकारी अधिकारी ने अपनी कार्रवाई से हर बार नए आयाम स्थापित कर रहा है। जिले में छोटे शराब तस्करों ने पहले ही अपना अवैध धंधा समेट लिया है तो वहीं अब बड़े माफिया भी अपने धंधे में नुकसान होने से मायूस नजर आ रहे है।