सुरेन्द्र भाटी@बुलन्दशहर बेटियों को धरा पर आने दो और जीने दो ।
क्यों क्रूर होता है जग सारा ।
क्यों बेटियों को है दुत्कारा जाता ।
जो सृष्टि की रचना है करती
उस माँ को क्यों तोड़ा जाता ।
धैर्य की परीक्षा लेता है जग सारा ।
जब रच जाती है माँ की कोख में
उसे घोसले (कोख) से
क्यों उखाड़ फेंका जाता ।
रह रह कर उस बच्ची पर
क्यों है कहर ढाया जाता ।
जब भूण हत्या है कराई जाती
तब जिंदा बच्ची ही काट काटकर
निकाली जाती ।
अरे निर्मोही क्यों इस जगत में
उसे आने नही दिया जाता ।
गर
जन्म ले भी लेती है बेटी
तो फिर बेटी को बेटों से
क्यों कम आँका जाता ।
और हाँ
बेटों को क्यों सरताज बनाया जाता ।
क्यों बेटियों को जंजीरो में जकड़ा जाता ।
इनको भी कलियाँ से खिलने दो
चिड़यों से चहचहाने और उड़ने दो
यारो
इनको धरा पर आने दो
वरना
सृष्टि का हो जाएगा अंत,
जगत का भी हो जाएगा विध्वंश ।
अब बस
बेटियों को धरा पर आने दो और जीने दो ।
स्वरचित✍️
मानसी मित्तल