मदर्स डे पर सीएलएम पब्लिक स्कूल के बच्चों ने मां के प्यार को गीतों पिरोकर दी शानदार प्रस्तुति

ग्रेटर नोएडा। सी. एल. एम पब्लिक स्कूल ग्रेटर नोएडा ऐमनाबाद में शनिवार को मदर्स डे धूमधाम से मनाया गया। प्रबंधक जोगेंद्र सिंह, चेयरमैन बबिता सिंह, प्रधानाचार्या रीना गुप्ता ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के आवाहन कर दीप प्रज्वलन कर सरस्वती वंदना से की। सी. एल. एम पब्लिक स्कूल में प्राइमरी तक के छात्रों की माताओं को बुलाकर उनका स्वागत हुआ। नौनिहाल बच्चों ने अपनी मांओं के लिए तू कितनी अच्छी है, तू कितनी भोली है, मम्मी माय स्वीट मम्मी, हर रिश्ते में मां देख जब से दुनिया में आई, आई लव माय मम्मी… ऐसे बहुत सारे गीतों में नृत्य कलाओं से गीतों से सुर से सुर मिलाकर मां भगवान का रूप है। कई गीतों के माध्यम से बच्चों ने सभी का मन मोह लिया।

स्कूल के प्रबंधक जोगेंद्र सिंह, चेयरमैन बबिता सिंह, प्रधानाचार्य रीना गुप्ता ने सभी मां शक्ति को अभिनंदन कर कई तरह के मनोरंजक खेलों का आयोजन कर उन्हें उपहार स्वरूप भेंट प्रदान कर उनका अभिनंदन किया। प्रबंधक जोगेंद्र सिंह ने कहा मां महज एक शब्द नहीं बल्कि अपने आप में एक संपूर्ण ब्रह्मांड है। वह हर किसी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है। एक माँ में निस्वार्थ भाव से प्रेम करने की क्षमता होती है। एक मां के बलिदान को सिर्फ शब्दों में नहीं लिखा जा सकता। माँ का प्यार निस्वार्थ होता है, माँ एक बच्चे द्वारा बोला गया पहला शब्द है। अगर उसका बच्चा पचास साल का भी हो जाए तो भी एक मां की नजर में वह बच्चा ही होगा। भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने माँ बनाई। एक प्यारी माँ के बिना हर किसी का जीवन अधूरा है।

चेयरमैन बबिता सिंह ने कहा माँ हमारे जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखने वाली और उन्हें पूरा करने वाली देवदूत होती है। कहने को वह इंसान होती है, लेकिन भगवान से कम नहीं होती।वहीं मंदिर है, वही पूजा है और वही तीर्थ है। माँ के बारे में जितना लिखा जाए उतना ही कम है। ममत्व एवं त्याग घर ही नहीं, सबके घट को उजालों से भर देता है। मां का त्याग, बलिदान, ममत्व एवं समर्पण अपनी संतान के लिए इतना विराट है कि पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाये तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है।

प्रधानाचार्य रीना गुप्ता ने कहा हमारी माँ हमारी पहली शिक्षक होती है। वह किसी भी व्यक्ति की अब तक की सबसे अच्छी शिक्षिका हैं। जब हम शैशव अवस्था में होते हैं तो वह हमें पढ़ाना शुरू कर देती है। हमें सही और गलत के बीच अंतर सिखाया जाता है। कभी-कभी वह सख्त होती है और हमें एक बेहतर इंसान बनाने के लिए हमारी गलतियों पर डांटती है। दयालु होने का पाठ हमें हमारी माँ ही सिखाती है। वह हमें न केवल एक जिम्मेदार नागरिक बनना सिखाती हैं बल्कि समाज के प्रति हमारी भूमिकाओं और कर्तव्यों को भी समझाती हैं। प्रथम पाठशाला मां है लेकिन कहीं ना कहीं दूसरी मां जो स्कूल में होती है जो बच्चों को जीवन जीने की कलाओं का ज्ञान अर्जन कराती है।

हर बच्चा करीब 6 घंटे अध्यापक के बीच में ही गुजारता है। स्कूल दूसरा घर के समान बच्चे का होता है। ऐसे हृदयस्पर्शी शब्द से मां की आंखों में आंसू छलकते दिखे। अध्यापकों द्वारा तैयार किए गए कार्यक्रमों की बखूबी छात्र-छात्राओं ने किया प्रदर्शन अपने बच्चों से ऐसी अभिभूति दिल के आकार का उपहार मां का प्यार पाकर मन में खुशी की लहर के उफनते हुए अश्रु धारा से माहौल बहुत ही भावुक दिखा। सी. एल. एम पब्लिक स्कूल के सभी अभिभावकों का तहे दिल से हृदय का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सार्थक बनाने में भागीदार बनकर और छात्र-छात्राओं को उनके स्वर्णिम भविष्य का आशीर्वाद दिया गया।