- बड़ी-बड़ी मशीनों से यमुना में की जा रही रेत की खुदाई
- कायदे-कानूनों का उल्लंघन कर मोड रहे यमुना की धार, रेत की मची लूट
दीपक वर्मा@शामली। जिले में रेत खनन को लेकर बड़े बड़े फसाद हो रहे हैं। खनन की खान पर कब्जा करने, धमकाने, डराने का खेल भी बदस्तूर जारी है। खनन के काले धंधे में बड़े बड़े नेताओं की भी सीधे तौर पर एंट्री हो गई है। आंदोलन और फसाद की जड़े बने इस गौरखधंधे से जनपद में यमुना के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगाया है, लेकिन इसके बावजूद भी खनन माफिया और उनके रहनुमाओं को जरा सी भी फिक्र नही है। कानूनों का पालन कराने वाले अधिकारी भी खनन पर उंगलियां उठते ही चुप होकर बैठ जाते हैं।
कुछ ऐसा ही अवैध कार्य इन दिनों कैराना क्षेत्र के मामौर में पांच साल के लिए आवंटित किए गए पट्टे की आड़ में हो रहा है। जिले में कुछ बड़े खनन पट्टे नेताओं की आपसी तकरार के चलते शुरू नही हो पा रहे हैं। इसका फायदा मामौर में खनन माफिया उठाते हुए दिख रहे हैं। यहां पर वैध खनन पट्टे की आड़ में यमुना में मानों लूट चल रही है। नियम कायदों को दरकिनार करते हुए बड़ी बड़ी मशीनरी यमुना में उतारती गई है, जिनके द्वारा यमुना में सैंकड़ों फुट गहरे गड्ढ़े खोद दिए गए हैं। यहां पर माफियाओं ने खनन का दायरा बढ़ाने के लिए यमुना की धार से भी छेड़छाड़ की है। धार का रूख मोड़ते हुए अलग से रास्ता भी तैयार किया गया है, ताकि यमुना में बहने वाला पानी रेत की लूटपाट में रूकावट ना बन सके। इस खनन पट्टे पर खुलेआम नियम कायदों का उल्लंघन हो रहा है, लेकिन यमुना से रेत की अवैध लूट से हो रही रूपयों की बारिश ने जिम्मेदारों को भी खामोश कर दिया है।
कौन देता है धारा से छेड़छाड़ की प्रमीशन…?
खनन पट्टों पर पिछले कुछ सालों से यमुना की धारा मोड़ने की हरकतें भी बढ़ी है। मशीनों से यमुना के बीच में रेत डालकर रास्ता तैयार करते हुए धार को इधर उधर से निकाल दिया जाता है। ऐसी हरकत से यमुना के अस्तित्व से खिलवाड़ के साथ साथ बाढ़ की संभावनाओं को भी न्यौता दिया जा रहा है। यह सब जानते हैं कि प्रकृति से छेड़छाड़ बड़े ही डरावने हालात पैदा कर सकती है, लेकिन सब कुछ जानने के बावजूद भी मामौर खनन प्वाइंट पर एनजीटी, सरकार और कोर्ट की गाइड लाइन को आईना दिखाने का काम हो रहा है। माफियाओं द्वारा अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को मुंह बंद रखने की धमकी भी दी जा रही है, जिसके चलते क्षेत्र में खून खराबा होने की संभावनाएं भी बन जाती है।
खनन कुण्ड में समां रही जिंदगी
खनन प्वाइंटों पर मशीनरी से होने वाली खुदाई के चलते यमुना के किनारों पर बड़े बड़े कुण्ड बन जाते हैं। विशेष अवसरों या गर्मी के सीजन में यमुना किनारे नहाने के लिए पहुंचने वाले लोग अनजाने में इन कुण्ड में फंसकर अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। जिले में यमुना नदी में डूबने से होने वाली मौत की घटनाएं सामने आती रहती है, जिनमें एक साथ कई कई परिवारों के चिराग भी बुझते हुए देखे हैं। यमुना के इस रौद्र रूप के बावजूद भी कोई भी इस अवैध लूटपाट को रोकने में रूची दिखाता नजर नही आता है। अधिकारियों द्वारा सिर्फ खानापूर्ति की कार्रवाई ही देखने को मिलती है। यह भी सामने आया है कि शासन, एनजीटी या फिर किसी बड़े अधिकारी के निरीक्षण से पहले ही खनन से जुड़े स्थानीय अधिकारी मौके पर पहुंचकर माफियाओं को आगाह कर देते हैं।