-समाज और पत्रकारों के लिए प्रासंगिक है ‘विनोबा दर्शन पुस्तक-हरिवंश
गाजियाबाद। ‘विनोबा के साथ उनतालीस दिनÓ पुस्तक नये-पुराने सभी पत्रकारों एवं समाज के लिए प्रासंगिक है। यह बात राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कही। वह बतौर मुख्य अतिथि वसुंधरा स्थित मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के सभागार में प्रभाष परम्परा न्यास, प्रज्ञा संस्थान एवं मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की ओर से आयोजित ‘विनोबा दर्शनÓ पुस्तक लोकार्पण एवं परिचर्चा समारोह में आए थे। उन्होंने कहा कि विनोबा के साथ उनतालीस दिन रहकर उसकी रिपोर्टिंग करना प्रभाष जोशी के करियर की बुनियाद है। उन्होंने उस दौरान जो रिपोर्ट लिखी वह कालजयी हो गई। राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि पत्रकारों को रिपोर्टिंग का गुर सीखने और सहज लेखन के लिए इस पुस्तक को जरूर पढऩा चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि यह पुस्तक विनोबा दर्शन नहीं विनोबा दृष्टि है। यह जीवन जीने की दृष्टि है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के स्वराज के सपने को विनोबा भावे ने कैसे लागू करने का प्रयास किया और उस यात्रा को प्रभाष जोशी ने कैसे अपने रिपोर्टिंग के माध्यम से साकार किया यह पुस्तक उसका उत्कृष्ट उदाहरण है। इंदौर की इसी यात्रा के बाद विनोबा को लोगों ने बाबा कहना शुरू किया। उन्होंने दया धर्म का मूल है, को उद्धृत करते हुए कहा कि भूदान आंदोलन विनोबा की करूणा का सर्वोत्तम उदाहरण है।
गांधी के अधूरों कार्यों को विनोबा पूरा करना चाहते थे। यह पुस्तक हमें बताती है कि 1947 में जो स्वराज आया वह गांधी का स्वराज नहीं था। यह बात विनोबा ने कही थी। यह बात आज भी प्रासंगिक है। गांधी की कल्पना के स्वराज को लेकर विनोबा ने गांव-गांव यात्रा की। वरिष्ठ पत्रकार व प्रभाष परंपरा न्यास के अध्यक्ष बनवारी ने कहा कि विनोबा भावे के साथ बिताये उनके उनतालीस दिनों ने उन्हें देश का चर्चित पत्रकार बना दिया। उन्होंने कहा कि विनोबा भावे का ठीक से मूल्यांकन होना अभी बाकी है। विनोबा ने राजनीतिक समस्या का सामाजिक ताकत से हल निकालने के लिए अपना जीवन खपाया और समाज को जोडऩे का काम किया।
वरिष्ठ पत्रकार संजीव कुमार ने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तक एक अनिवार्य पाठ है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक राजीव रंजन गिरी ने कहा कि प्रभाष जोशी ने जो रिपोर्टिंग की वह अद्भुत है। पुस्तक के सम्पादक मनोज मिश्र ने पुस्तक का परिचय देते पुस्तक की रचना प्रक्रिया को लेकर अपने अनुभवों को साझा किया। मेवाड़ इंस्टीट्यूट की निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन राकेश कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रभाष जोशी की पत्नी उषा जोशी, पूर्व गुह राज्य मंत्री रविकांत गर्ग, अरविन्द मोहन, श्याम लाल यादव, प्रोफेसर अशोक सिंह, राम नारायण सिंह, रमा शंकर कुशवाह, संदीप जोशी आदि उपस्थित थे।
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