जयपुर: राजस्थान में कोरोना महामारी के कारण पिछले साल मार्च में बंद हुई स्कूलें आज करीब 10 माह बाद फिर से शुरू हुईं। हालांकि, आज से केवल 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को ही स्कूल में बुलाया गया है। कोरोना के कारण स्कूल में कई परिवर्तन दिखाई दिए। पहले जहां बच्चे सीधे स्कूल में प्रवेश करते थे तो उन्हें अब स्कूल के मुख्यद्वार पर सैनेटाइज होने और थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवेश दिया गया। पहले रोज की तरह होने वाली प्रार्थना सभा भी नहीं हुई। बच्चों को सीधे क्लास में भेजा गया। जहां पर वे अपने दोस्तों के पास बैठने की बजाय सोशल डिस्टेंस के कारण दूर-दूर बैठे नजर आए। इसके साथ ही कॉलेज, कोचिंग संस्थान भी आज से खुल चुके हैं।
आज से केवल वे ही विद्यार्थी स्कूल जा सके, जिनके माता-पिता ने लिखित सहमति दी। बिना लिखित सहमति बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। साथ ही कंटेनमेंट जोन के बाहर के संस्थान ही खुले। जहां ऑनलाइन क्लास चलाई जा रही है, वहां विद्यार्थियों को भौतिक रूप से उपस्थित होने के बजाय ऑनलाइन उपस्थिति की प्राथमिकता दी गई है। बच्चों और शिक्षकों के लिए मास्क अनिवार्य है। वहीं, संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू के साथ ही पदाधिकारियों ने स्कूलों का दौरा किया औेर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
बाहर से आने वाले विद्यार्थियों को 24 घंटे पूर्व आरटीपीसीआर टेस्ट कराना अनिवार्य किया गया है। नेगेटिव होने पर ही संस्थान में प्रवेश दिया जाएगा। प्रत्येक कक्ष में छात्रों की उपस्थिति कमरे की क्षमता की 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी।
राजस्थान सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन की पालना के लिए राज्य के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने सभी आईएएस और आरएएस के लिए निर्देश जारी किया है। इसमें निर्देश दिए गए है कि वे अपने कार्यक्षेत्र की स्कूलों का दौरा करें और यह देखें कि स्कूलों में एसओपी की पालना की जा रही है या नहीं।
जयपुर के गांधी नगर स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में एक अजीब स्थिति देखने को मिली। यहां पर बच्चे सुबह करीब 9 बजे पहुंच गए और स्टाफ उनके बाद पहुंचा। ऐसे में सवाल यह उठ खड़ा हुआ कि जब बच्चे स्कूल में जल्दी पहुंच जाएंगे और स्टाफ देर से आएगा तो किस तरह कोरोना गाइडलाइन की पालना होगी।