कानपुर : कानपुर से एक बेहद हैरान करने का मामला सामने आया है. यहां एक बैंक मैनेजर महिला 17 महीने तक अपने पति के शव के साथ रही. उसका मानना था कि वह जीवित है और उसके साथ है.
महिला का नाम मिताली दीक्षित है. वह घर पर रखे शव को रोज गंगाजल से पूछती थी. कपड़े बदलती थी. बच्चे शव से लिपट कर भगवान से प्रार्थना करते थे कि उनके पापा को सेहतमंद कर दें. मृतक के माता-पिता और भाई शव को ऑक्सीजन देते थे और पूरा परिवार इस इंतजार में था कि एक दिन मृतक विमलेश होश में आ जाएंगे.मिताली का कहना था कि उसके पति कोमा में हैं और वह एक दिन होश में आ जाएंगे.
कोऑपरेटिव बैंक में मैनेजर मिताली रोज घर से निकलने से पहले अपने पति के शव का माथा छूकर उससे बताती थी कि वह जा रही है. उसके पास बैठकर उसे देखा करती थी. केवल मिताली नहीं पूरा परिवार मृतक विमलेश के आगे पीछे घूमता था.
डॉक्टर इसे एक दुर्लभ मनोरोग बता रहे हैं. उनका कहना है कि परिवार ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि यह बिना खाए पीए कैसे जीवित रह सकता है. मनोरोग विशेषज्ञ इसे विचित्र केस बता रहे हैं. उनके आस-पास के लोगों ने बताया कि उनके रुटीन में कोई बदलाव नहीं था लेकिन वह समाज से कट चुके थे.
विमलेश के ऑफिस में जांच शुरू हुई कि 17 महीने से विमलेश काम पर क्यों नहीं आ रहा. विभाग ने एक टीम उसके घर भेजी. पूरा परिवार इस टीम से भिड़ गया. इसके बाद 30 अगस्त को जेडएओ, सीबीडीटी पीबी सिंह ने सीएमओ को पत्र लिख कर जांच के लिए कहा. सीएमओ ने डीएम को पत्र लिखा तब पुलिस के साथ मेडिकल टीम भेजी गई. घरवाले इस टीम से भी भिड़ गए. आधे घंटे तक समझाने के बाद टीम शव को मेडिकल कॉलेज ले जा सकी. साथ में पत्नी मिताली और बच्चों को छोड़ कर पूरा परिवार भी वहां पहुंच गया. यहां भी वे विमलेश को जीवित बताते रहे. जांच में मृत घोषित करने के बाद परिजनों ने लिखकर दिया कि वह पोस्टमार्टम नहीं करवाना चाहते. आखिर में पुलिस ने अंतिम संस्कार करने की हिदायत के साथ शव परिजनों को सौंप दिया.