सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलंदशहर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली के वरिष्ठ डॉक्टरों ने हाल ही में 60 वर्षीय मरीज की टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की है. ये महिला मरीज खुर्जा की रहने वाले थीं और सर्जरी के बाद इनका जीवन मरीज रतन कौर का बाइक एक्सीडेंट हो गया था जिसमें उनकी जांघ की हड्डी में फ्रेक्चर हुआ था। ये हादसा दो साल पहले तब हुआ था जब वो वृंदावन में परिक्रमा कर रही थी. अलीगढ़ और नोएडा में शुरुआती सर्जरी की गई इलाज भी किया गया लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल सकी. इसका असर ये हुआ रतन कोर के घुटने के जोड़ों में दिक्कत हो गई और उनकी टांग करीब 3 इंच छोटी हो गई. करीब दो साल से ज्यादा तक दर्द से जूझने के बाद रतन कौर को उनके परिजनों ने डॉक्टर संजय गुप्ता को दिखाया।
आसान हो गया है.
इसके बाद स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने इस केस को देखा.
डॉक्टर संजय गुप्ता मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट के डायरेक्टर व हेड हैं. उन्होंने इस कैस के बारे में बताया, “ये मामला बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि हादसे के बाद से काफी समय बीत चुका था और पिछली सर्जरी से उन्हें परेशानी हुई थी. पीड़िता चलने के लिए जूते की ऊंचाई का इस्तेमाल कर रही थीं, जो बोझिल और दर्दनाक था. इससे उन्हें रोज के काम करने की दिक्कत होती थी. इन सब हालातों के बावजूद, हमारी टीम मरीज का इलाज करने के लिए दृढ़ थी और केस की पूरी जांच करने के बाद टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की योजना बनाई गई. सर्जरी के बाद, महिला मरीज तेजी से ठीक हो गई, और उनके घुटने के जोड़ ने फिर से काम करना शुरू कर दिया. उनका दर्द भी खत्म हो गया और टांगों की बराबर लंबाई हो गई, जिससे वह बिना किसी सहारे के बिना दर्द के चलने में सक्षम हो गई।
कॉन्फ्रेंस में रतन कौर के सफल इलाज की कहानी के अलावा बुलंदशहर, खुर्जा और सिकंदराबाद के कुछ अन्य मरीजों के बारे में भी बताया गया. ये वो मरीज थे जिनकी सक्सेसफुली नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई. मरीजों ने भी अपने एक्सपीरियंस साझा किए और बताया कि कैसे डॉक्टर संजय गुप्ता की गाइडेंस में इलाज के बाद उनकी जिंदगी को सुकून मिला है।
वहीं, डॉक्टर संजय गुप्ता ने ऑस्टियोआर्थराइटिस के बढ़ रहे मामलों पर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि 60 वर्ष के ऊपर लगभग हर तीन महिलाओं में से एक, और हर पांच पुरुषों में से एक शख्स को ये बीमारी है।
डॉक्टर गुप्ता ने आगे कहा, “खराब लाइफस्टाइल, मोटापा और खान-पान में बदलाव जैसी वजहों के चलते ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले बढ़ रहे हैं. इस रोग को चार चरणों में बांटा जा सकता है. शुरुआती तीन स्टेज में दवाओं, वजन घटाने, फिजियोथेरेपी और अच्छी जीवन शैली की आदतों को अपनाने के माध्यम से इलाज किया जा सकता है. स्टेज चार में, घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत होती है, जो आज की तकनीकी प्रगति के साथ एक सुरक्षित और सफल प्रक्रिया बन गई है. मरीजों को इस बीमारी से बचने के लिए अच्छी और स्वस्थ लाइफस्टाइल का पालन करने की आदत डालनी चाहिए।