ट्रैक्टर मार्च से सेना तथा शहीदों का होगा अपमान

IN8@गुरुग्राम….अन्य जिलों की तरह से अब गुरुग्राम में भी पूर्व सैनिकों ने किसानों से 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड न करने की अपील की है। यह अपील शहीद कल्याण फाउंडेशन की ओर से यहां शमा पर्यटक केंद्र में आयोजित एक विचार गोष्ठी के माध्यम से पूर्व सैनिकों ने की।
विचार गोष्ठी में बोलते हुए शहीद कल्याण फाउंडेशन के संयोजक डॉ. टीसी राव ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि इस साल कोरोना से हम जूझते रहे पूरी साल और अब जब हमें राष्ट्रीय पर्व मनाने का मौका मिला है। गणतंत्र दिवस के दिन ही भारत के किसानों ने ट्रैक्टर परेड करने का ऐलान किया है। बहुत दुर्भाग्य की बात है। भारत के 95 प्रतिशत सैनिक किसान परिवारों से आते हैं। शहीद भी उन में से ही होते हैं। आज भी सेना में किसान परिवारों के बच्चे ही जाते हैं। जो किसान ट्रैक्टर मार्च में भाग लेंगे, वे भी इनके ही भाई, भतीजे, रिश्तेदार सेना में सेवारत हैं। यह ट्रैक्टर मार्च सेना का तथा शहीदों का बहुत बड़ा अपमान होगा। इसलिए किसानों को यह ट्रैक्टर रैली रद्द करनी चाहिए।


शहीद कल्याण फाउंडेशन के अध्यक्ष कर्नल महावीर सिंह, ब्रिगेडियर जेके बंसल, ब्रिगेडियर अनिल श्रीवास्तव, कर्नल जेके सिंह, मेजर एसएन यादव, कर्नल एके मंदीरत्ता, कर्नल जेएस सहगल, कैप्टन राजेन्द्र यादव, तेज सिंह, दिलीप कुमार एवं अन्य पूर्व सैनिकों ने कहा है कि गणतंत्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय त्योहार है। इसी दिन सन 1950 को भारत सरकार का अधिनियम एक्ट 1935 को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज्य स्थापित करने 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा के द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। इस दिन तीनों सेनायें अपनी पूरी ताकत दिखाते हैं।

हथियारों का प्रदर्शन करते हैं। तीनों सेनायें मार्च करके इंडिया गेट के सामने से राजपथ पर एक मैसेज देते हैं कि दुनिया को की हम किसी से कम नहीं हैं। इसी दिन शहीदों के परिवारों को देश के हर राज्य के प्रत्येक जिले में सम्मान दिया जाता है। इसी दिन बहादुरी वीरता पुरस्कार प्राप्त किये हुए सैनिकों को भी सम्मान दिया जाता है। सबसे बड़ा सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र और अशोक चक्र राजपथ पर ही राष्ट्रपति द्वारा दिये जाते हैं।