सुरेन्द्र भाटी@बुलन्दशहर के कोतवाली ककोड़ छेत्र के गांव धनोरा में वर्षों से चली आ रहीं रंजिश के तहत रविवार को दिनदहाड़े वदमाशों की अंधाधुंध फायरिंग में एक ही परिवार के युवक की मौत हो गई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मामले को लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मौके पर आई जी,एडीजी ने पहुंचकर घटना की जानकारी ली।
गांव निवसी धर्मपाल पुत्र कालीचरन रविवार सुबह अपनी इनोवा कार से पशुओं को चारा लेकर पत्नी रविन्द्री तथा बेटा संदीप, सुरक्षा गार्ड पुष्पेन्द्र के साथ खेतों से घर वापस लौट रहा था। गाड़ी उसका दूसरा बेटा जीतू उर्फ जितेन्द्र चला रहा था। जैसे ही गाड़ी गांव स्थित उनके घर को जाने वाली गली के मोड़ पर पहुंची तभी पहले से ही घात लगाए बैठे दो बाईकों और एक कार सवार वदमाशों ने धर्मपाल की कार पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
जिससे कार सवार धर्मपाल दो गोली,संदीप को कई गोली, सुरक्षा गार्ड पुष्पेन्द्र को पेट और बाजू तथा वहां से गुजर रहे गांव निवसी पवन पुत्र इंदर को गोली लगीं। वदमाशों की फायरिंग से हड़कंप मच गया। वदमाश करीब चालीस राऊंड फायरिंग करके मौके से फरार हो गये। घायलों को आननफानन में पहले बुलंदशहर तथा बाद में गंभीर हालत में नौएडा भेजा गया। जहां उपचार के दौरान संदीप (28वर्ष) की मौत हो गई।
घटना की सूचना पर पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मौके पर आई जी प्रवीन कुमार, एडीजी राजीव सब्बरवाल, एसएसपी संतोष कुमार सिंह, एसपी सिटी, एसपी क्राईम समेत कई थानों पुलिस पहुंची। अधिकारियों ने मामले की जानकारी जुटाकर अधिनस्थों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
मौके पर फॉरेंसिक मोबाईल टीम ने पहुंचकर साक्ष्य जुटाए। एतिहाद के तौर पर गांव में पुलिस को तैनात किया गया है।
घायल गनर
गनर की बहादुरी से बची कई जान
जिस इनोवा गाड़ी में परिवार पशुओं के लिए चारा ला रहा था। उसमें धर्मपाल के पास लाईसेंसी रायफल, उसके बेटे संदीप के पास लाईसेंसी रिवाल्वर तथा गनर पुष्पेन्द्र के पास कार्वाइन मौजूद थी। गनर को तीन गोली लगने के बावजूद उसने वदमाशों पर जवाबी फायरिंग की। जिससे वदमाश मौके से फरार हुए।
होली का पर्व और धनौरा की खूनी होली
धनौरा में खूनी रंजिश का होली के पर्व से गहरा नाता है। वर्ष 1990 में खूनी रंजिश की शुरुआत होली पर्व से हुई। होली के पर्व पर वर्ष1990 में एक साथ चार हत्याएं हुई। जिनमें वीरपाल, वेदपाल पुत्रगण मोहनलाल, तेजपाल पुत्र जोरावर तथा अगम पुत्र जवाहर की गोली मारकर हत्याएं हुई। उसके बाद रविन्द्र पुत्र रामपाल की वर्ष2014 में होली के दिन गोली मारकर हत्या की गई। अब भी होली पर्व का मात्र एक सप्ताह है और फायरिंग में संदीप की जान चली गई।
खूनी रंजिश में जा चुकीं हैं 14 जान
नब्बे के दशक से शुरू हुए खूनी संघर्ष में अब तक 14 जान जा चुकीं हैं। वर्ष 1990 में होली के पर्व पर हुए खूनी संघर्ष में एक पक्ष के सन्नू, इंदर ,महेन्द्र व रामवीर पुत्रगण लोटनसिंह को मौत के घाट उतार दिया गया। वहीं दूसरे पक्ष से वीरपाल, वेदपाल पुत्रगण मोहनलाल, तेजपाल पुत्र जोरावर,अगम पुत्र जबाहर को मौत के घाट उतार दिया गया। उसके बाद 2005 में श्रृगांरी देवी पत्नी कालीचरन, नीरज पुत्र आनंद, रविन्द्र पुत्र रामपाल, जगपाल पुत्र कालीचरन, कालीचरन तथा संदीप की हत्या रविवार को कर दी गई। हत्याओं को लेकर पांच लोग आजीवन कैद की सजा काट रहें तो कुछ लोग कारागार में निरुद्ध हैं।
जेल में निरूद्ध अमित पर जताई आशंक
फायरिंग कांड के लिए एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने अमित जो वर्तमान में जेल में निरूद्व है।पर फायरिंग कराने के पीछे हाथ बताया है। एसएसपी ने बताया कि अमित और उसके तीन अन्य साथी कालीचरन हत्याकांड में जेल में निरूद्ध हैं।