सुरेन्द्र सिंह भाटी @बुलन्दशहर
माँ क्या होती है माँ के सम्बन्ध में कितना भी वर्णन करो वो भी कम है माँ की ममता होती हैं प्यारी
सारे जग से है माँ न्यारी
जीवन मे बच्चों का आना
माँ का तो बस यही खजाना
सहती है वो कष्ट महान
बच्चो में बसती है जान
माँ का वो कोमल सा मन
स्नेह लुटाती है हरदम
कितना निश्छल होता मन
स्वच्छ निर्मल होता दर्पण
सरसों को वो साग बनाना
मक्का की रोटी से खाना
तरह तरह के स्वेटर बनाना
बच्चों को था खूब पहनाना l
सगे सम्बन्धों का मान वो करती रिश्तों से वो प्यार थी करती
सहनशीलता बहुत थी करती
कर्तव्यों से कभी न हटती
घृणा द्वेष से दूर वो रहती
हंसी ठिठोली खूब ही करती
गिला शिकवा वो कभी न करती
खामोशी का दम भी भरती
अब अंतिम पंक्ति
माँ होती अनमोल खजाना
माँ को बारम्बार नमन हमारा
स्वरचित✍️
मानसी मित्तल