डा. संजय कुमार निषाद ने समाज को किया एकजुट

IN8@नई दिल्ली,(भरत निषाद): टुकड़ों में बिखरा रहने वाला निषाद समाज आज एक जुट नजर आ रहा है तो इसका श्रेय डा. संजय कुमार निषाद को जाता है। वर्ष 2013 में निषाद पार्टी बनाने वाले संजय निषाद एक दशक पहले तक गोरखपुर के गीता वाटिका रोड पर अपनी इलेक्ट्रो होम्योपैथी का क्लीनिक चलाते थे। उन्होंने निषाद पार्टी से पहले राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनायी और बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष निषादों की विभिन्न उपजातियों को एक करने का प्रयास किया।
उन्होंने ‘मछुआ समुदाय की 553 जातियों को एक मंच पर लाने’ की मुहिम शुरू की। उन्होंने निषादों को बताया कि निषाद वंशीय समुदाय की सभी पर्यायवाची जातियों को एक मानते हुए अनुसूचित जाति में शामिल करने पर समाज का फायदा होगा।
देश के 14 राज्यों में निषाद वंशीय अनुसूचित जाति में शामिल भी हैं।

उत्तर प्रदेश में निषाद वंश की सात पर्यायवाची जातियां- मंझवार, गौड़, तुरहा, खरोट, खरवार, बेलदार, कोली अनुसूचित जाति में शामिल हैं, लेकिन अन्य उपजातियों को ओबीसी में रखा गया है। उनके अनुसार निषाद वंशीय समाज की सभी जातियां संवैधानिक रूप से अनुसूचित जाति में हैं, इस बात को सिर्फ परिभाषित करने की जरूरत है जिसे अब तक नहीं किया गया है। उन्होंने निषादों को उनकी राजनीतिक ताकत बतायी और एक दल से दूसरे दल में जाने के बजाय एक पार्टी में उनको संगठित होने को कहा। उनका कहना है कि यूपी में निषाद वंशीय 17 फीसदी हैं और वे 152 विधानसभा सीटों पर प्रभावशाली स्थिति में हैं। यदि हम एकजुट हो गए तो हमें कोई अनदेखा नहीं कर सकता।
आज डा. संजय कुमार निषाद किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने समाज के अंदर जो एकजुटता की भावना पैदा की है वह एक दिन जरूर रंग दिखाएगी। आज निषाद समुदाय एक ताकतवर समुदाय के रुप में उभरकर सामने आ रहा है। कोई भी पार्टी निषाद समुदाय को अनदेखा नहीं कर सकती है।