IN8@नई दिल्ली ,(भरत निषाद): आज से करीब 15-20 साल पहले कुल्हड़ में चाय पीने का अपना अलग ही मजा था । चाय के साथ-साथ वो मिट्टी की धीमी-धीमी खुशबू भी मन को एक दम प्रसन्न कर देती थी। रेल यात्रियों के लिए एक बार फिर पुराने दिन लौटने वाले है। यात्रा के दौरान अब प्लास्टिक की जगह उन्हें कुल्हड़ में चाय की चुश्की का आनंद मिलेगा तो गर्मा-गर्म पूड़ी-सब्जी, समोसा, पकौड़े मिट्टी के प्लेट में दिया जाएगा। पर्यावरण अनुकूल मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल जल्द ही हरियाणा के कई स्टेशनों पर शुरू किया जाएगा।
रेल मंत्रालय ने तय किया है कि रेलवे स्टेशनों पर अब प्लास्टिक कप की जगह कुल्हड़ के ग्लास में चाय की चुस्की यात्री ले सकेंगे। इसके साथ ही पर्यावरण अनुकूल मिट्टी के ग्लास व प्लेट का भी इस्तेमाल किया जाए
। सभी रेलवे जोन को इस बाबत निर्देश भी जारी कर दिया गया है। फिलहाल रेलवे ने इस तरह के 400 स्टेशनों को चिन्हित किया है जहां मिट्टी (टेराकोटा) के बर्तन का इस्तेमाल किया जाएगा।
पर्यावरण व लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रख रेल मंत्रालय ने क्षेत्रीय रेलवे व इंडियन कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) को निर्देश जारी किया है। यह सुनिश्चित करने को कहा है कि पर्यावरण अनुकूल टेराकोटा उत्पादों को सुनिश्चित किया जाए। कुल्हड़ में चाय दिया जाए तो समोसा, पकौड़ा समेत अन्य नाश्ते के लिए टेराकोटा के प्लेट का इस्तेमाल किया जाए। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए हरियाणा राज्य के अंबाला कैंट, कालका, हिसार, सिरसा और भिवानी समेत प्रत्येक रेलवे जोन के 25-25 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है।
उल्लेखनीय है कि रेलवे के इस पहल से ग्रामीण इलाकों में रोजगार का भी श्रृजन होगा और पारंपरिक काम-धंधे को गति मिलेगी। हालांकि स्टेशनों पर गंदगी की वजह से रेलवे ने पहले से चल रही इस योजना को बीच में बंद करने का निर्णय लिया है। जिसे एक बार फिर शुरू किया जा रहा है।