सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलंदशहर अनूपशहर विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रथम चरण में कराया गया मतदान गुरुवार को शांति पूर्वक संपन्न हो गया.मतदान संपन्न होने के बाद जहाँ प्रत्याशी अपने समर्थकों, चुनावी एजेंटों और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेते रहे वहीं दूसरी ओर समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने प्रत्याशियों को उनकी जीत के लिए आश्वस्त करने में कोई कोर कसर उठा कर बाकी नहीं रखी।
मत दाताओं से बात करने पर एक बात साफ उभर कर सामने आई कि भाजपा का वोटर असमंजस की स्थिति में नहीं था. भले ही प्रत्याशी के प्रति उसकी कुछ भी नाराजगी रही हो. उसने वोट मोदी योगी के लिए, भाजपा के लिए कमल के चुनाव चिन्ह पर ही दिया. लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि हमने वोट प्रत्याशी को नहीं पार्टी और मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री के हाथ मजबूत करने के लिए दिया है।
अब बात विपक्ष की यदि की जाये तो जनपद की केवल अनूपशहर विधानसभा सीट ही ऐसी रही जिसपर भाजपा का वास्तविक प्रतिद्वंद्वी कौन है यह समझ पाने में मतदाता लगभग असफल रहा. एक वर्ग जहाँ बसपा को निकटतम प्रतिद्वंद्वी मानकर चला वहीं कांग्रेस के चौधरी गजेंद्र सिंह कोभी लोगों ने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में मानकर वोट किया. एक अन्य वर्ग एन सी पी सपा रालोद गठबंधन प्रत्याशी को मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानकर वोट करता भी नजर आया।
इस वर्ग की सबसे बड़ी उलझन यह रही कि प्रत्याशी जनता के लिए अनजान, निष्क्रिय और बोतल के जिन्न की तरह महसूस किया जाता रहा.यही नहीं सपा रालोद के कार्यकर्ताओं व स्थानीय नेताओं को भी प्रत्याशी साथ ले पाने में असमर्थ नजर आये.
मतदाताओं के रूख से स्पष्ट नजर आया कि मतदान में वोटरों ने अनूपशहर सीट को चतुष्कोणिय मुकाबला बनाया है।
अधिकांश वोट भाजपा, कांग्रेस, बसपा और गठबंधन प्रत्याशी की ही झोली में गयेे हैं.अन्य सभी प्रत्याशी इस चुनाव में अपनी दमदार उपस्थित दर्ज कराने में असफल ही रहे। उनको मुख्य मुकाबले में शामिल मानना मृग मरिचिका ही साबित होगी. जीत का सेहरा किसके सिर बंधा है यह तो सही सही आगामी 10 मार्च को ही पता चल सकेगा लेकिन यदि मतदान और मतदाताओं की राय शुमारी को सही मान लिया जाये तो कमल का दबदबा एक बार फिर से स्थापित होता नजर आ रहा है।