सुरेंद्र सिंह भाटी@बुलंदशहर मामला सिकन्द्राबाद नगर पालिका क्षेत्र के संयुक्त चिकित्सल्य के पास का हैं जहां नगर पालिका ने लाखों रुपए के टेंडर द्वारा नाला निर्माण व सोख़्ता गढ्ढे का निर्माण कराया।गौरतलब है कि सरकारी खजाने से लाखों रुपये नाला निर्माण में खर्च किये जाने के बावजूद स्थिति जस की तस है।
वहीं नाले के पास स्थित रिहायशी कालोनी में बिन बरसात और बरसात दोनों स्थितियों में नाले के गंदे जलभराव के चलते नगर पालिका ने एक सोख़्ता गढ्ढा भी नाले के समीप बनवाया लेकिन सोख़्ता गढ्ढे के निर्माण के दौरान मानकों का ध्यान न रखने के चलते और लेबल अधिक नीचे होने के कारण अनुपयोगी साबित हुआ। ऐसे में सवाल ये कि किस प्रकार नगर पालिकाओं के जिम्मेदार मनमर्जी से किस तरह सरकारी फंड को चूना लगा रहे है।
खास बात ये है कि कालोनी में नाले के गंदे पानी के जलभराव की समस्या के चलते कालोनी वासियों ने कई बार उच्चाधिकारियों से मामले की शिकायत भी की है। लेकिन ढुलमुल रवैया होने के कारण आज तक कोई अधिकारी उक्त नाले व सोख्ता पिट की मौके पर पहुंचकर मानकों के आधार पर जांच नहीं कर सका।
सवाल ये है कि इस नाला निर्माण कार्य मे लाखों रुपये के सरकारी फंड का उपयोग तो हुआ लेकिन आज भी नाला पहले की तरह गोबर से हर वक्त अटा रहता है।
वहीं सोख़्ता गढ्ढे के निर्माण का भी कोई लाभ नहीं है क्योंकि सोख़्ता गढ्ढा मानकों को ध्यान में न रखते हुए इतना नीचा बनाया गया कि पानी वहां तक पहुंचता ही नहीं बल्कि रिहायशी कालोनी की सड़क व नालियों में भरा रहता है।
वहीं कालोनी वासियों ने बताया कि बरसात के मौसम में तो नाले का गंदा पानी घरों के अंदर रसोई व बैडरूम तक चला जाता है। जिससे कालोनी में बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। कालोनी के निवासियों ने बताया कि वह नगर पालिका के ढुलमुल रवैये के चलते नरकीय जीवन जीने को मजबूर है।