नई दिल्लीः सिंगल यूज प्लास्टिक के 19 आइटमों पर आज शुक्रवार से प्रतिबंध लग जाएगा। इनका निर्माण, बेचना, स्टॉक करना सब बंद हो जाएगा। लेकिन इस बैन को लेकर उद्योग और व्यापारी काफी परेशान व असमंजस में दिखाई दे रहे हैं। उद्योगपतियों के अनुसार बैन लग चुका है और अब वह अपनी फैक्ट्रियां बंद कर रहे हैं।
मशीनों से कुछ और सामान बनाना संभव नहीं है। जो मशीनें अन्य आइटम बना भी सकती हैं उन्हें अपग्रेड करने में काफी खर्च आएगा। वहीं व्यापारी परेशान हैं कि उन्हें इन आइटमों के विकल्प महंगे तो मिल ही रहे हैं लेकिन डिमांड के अनुरूप भी नहीं मिल रहे हैं। गुरुवार को कई व्यापारियों ने कहा कि अभी उन्हें 20 प्रतिशत भी ऐसे उत्पाद नहीं मिल रहे हैं।
ऑल इंडिया प्लास्टिक इंडस्ट्री असोसिएशन के संरक्षक रवि अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली में इन आइटमों से जुड़ी करीब 50 यूनिट और देश भर में 500 यूनिट हैं। इन उद्योगों में एक लाख श्रमिक सीधे तौर पर काम करते हैं। वहीं ढाई लाख के करीब लोगों का रोजगार इन उद्योगों की वजह से है। अब यह बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि समस्या सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं है बल्कि उन्हें एकत्रित न कर पाना है।
जिस तरह सरकार ने कैरी बैग की मोटाई बढ़ाकर उन्हें बचाया है, इसी तरह हमें भी बचाना चाहिए। विदेशों में कई ऐसी तकनीक हैं जो इस तरह के प्लास्टिक का बेहतर निपटान कर रही हैं। जब भी प्लास्टिक के विकल्प की बात आती है सबसे पहले कागज का नाम आता है। लेकिन कागज पर्यावरण के लिए प्लास्टिक से भी अधिक खतरनाक है क्योंकि वह पेड़ों से बनता है। बल्कि जरूरत प्लास्टिक कचरे के बेहतर मैनेजमेंट करने की है।
मुंडका इंडस्ट्रियल क्षेत्र में प्लास्टिक कटलरी के उत्पादक दिनेश ने बताया कि एक जुलाई से उन्हें अपना बिजनेस बंद करना पड़ रहा है। वह 24 सालों से इस कारोबार में हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्लास्टिक इंजीनियरिंग का कोर्स किया है। ऐसे में अब उनके लिए अचानक किसी दूसरे कारोबार में जाना आसान नहीं है। मशीनों को बदलने और अपग्रेड करने में काफी अधिक खर्च है। उन्होंने कहा कि जिन उत्पादों को बैन किया गया है यदि उन्हें एकत्रित करने की सही प्लानिंग हो तो उन्हें रिसाइकल करना बहुत मुश्किल नहीं है।