सुरेंद्र सिंह भाटी@शिकारपुर ।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा प्रथम नवरात्र पर बुधवार को माता के जयकारों से देवालय गूंज उठे। प्रथम नवरात्र पर मां शैलपुत्री के स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। मंदिरों पर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम रहे। सुबह सोमवार व्रत में लोगों ने घरों में घट की स्थापना की।
अपने अनुष्ठान का शुभारंभ किया। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की भीड़ रही। वही भक्तों ने माता रानी से मन्नत मांगते हुए व्रत रखा। चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री के दर्शन के लिए मंदिरों में भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं के जयकारों घंटा और घरवालों की आवाज के साथ या देवी सर्व भूतेषु मातृरूपेण संस्थता मंत्र की गूंज रही।
वहीं घरों में विधि विधान से कलश स्थापना की गई। भक्तों में पूजा पाठ को लेकर काफी उत्साह देखा भक्तों ने व्रत भी रखा। नगर के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में काली मंदिर, नर्वदेश्वर मंदिर चामुंडा मंदिर आदि देवी धामों में भोर से ही घंटे घड़ियाल वह वैदिक मंत्र गूंजने लगे। भक्तों ने चुनरी फल फूल नारियल समेत अन्य वस्तुएं चढ़ाकर मां की आराधना कर सुख भी समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।
काली मंदिर के पुजारी मोनू शर्मा ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री देवी की पूजा होती है इसी के चलते माता की मूर्ति को प्रथम दिन श्वेत वस्त्र पहनाए गए। गाय के घी का भोग लगाया गया। दिनभर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। वही माता के नाम के जयकारे लग रहे थे।
पुजारी मोनू शर्मा ने बताया कि नवरात्र की प्रथम शक्ति मां शैलपुत्री है। सतीश जन्म में राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी सती के पिता राजा दशरथ के जग में अपने दामाद श्री शंकर भगवान ने बुलाने पर सचिन ने यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। सती ने दूसरा जन्म पार्वती के रूप में लिया पर्वतराज की पुत्री होने के कारण मां दुर्गा के पहले स्वरूप का नाम शैलपुत्री पड़ा।