लखनऊ। आबकारी विभाग ने एक बार फिर अवैध शराब की बिक्री के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। देहात क्षेत्र में होने वाले महुआ अवैध शराब के निर्माण को रोकने के लिए आबकारी विभाग की टीमें भी पूरी तरह से मैदान में उतर चुकी है। देहात क्षेत्र में कच्ची शराब का कारोबार करने वाले इतने बेखौफ है कि आबकारी विभाग की कार्रवाई के बाद भी धंधा बंद नहीं कर रहे है। सूत्र का कहना है कि पुलिस की शह पर चल रहा यह कारोबार खामोशी के साथ तेजी पकड़ रहा है। देहात क्षेत्र में कच्ची शराब के कारोबार को जड़ से खत्म करने के आबकारी विभाग की टीम लगातार कार्रवाई भी कर रही हैं। मगर आबकारी विभाग की कार्रवाई के बीच कुछ दिन बाद शराब माफिया फिर से अपना अवैध शराब के निर्माण का कारोबार शुरु कर देते है। आबकारी विभाग द्वारा लगातार हो रही अवैध शराब कारोबारियों के बावजूद क्षेत्रीय पुलिस कार्रवाई करने से बच रही है। जब भी आबकारी विभाग की टीम दबिश देने पहुंचती है तो भट्टियां फिर से सुलगती हुई मिलती है।
महुआ कच्ची शराब का धंधा आम के बाग से लेकर जंगल, नदी किनारे, झाड़ियों के बीच और घरों में चलता रहता है। देहात क्षेत्र में महुआ अवैध शराब के निर्माण को रोकने के लिए आबकारी विभाग ने फिर से अपनी कार्रवाई को नई धार देनी शुरु कर दी है। जिसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम प्रधान, चौकीदार और हर गांव में अपना एक मुखबिर तंत्र सक्रिय कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम प्रधान, चौकीदार और हर गांव के लोग ही अब देहात क्षेत्र में होने वाले महुआ अवैध शराब की गतिविधियों पर अपनी नजर रखेंगे, जो हर पल की जानकारी आबकारी विभाग तक पहुंचाएगें। आबकारी विभाग की इस मुहिम से काफी हद तक शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई में मदद मिलेगी। इसी क्रम में आबकारी विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए अवैध कच्ची शराब और लहन बरामद किया है।
जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया जिले में अवैध शराब के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत आबकारी विभाग की टीम द्वारा गुरुवार एवं शुक्रवार को शराब तस्करों के ठिकानों पर दबिश एवं छापेमारी की कार्रवाई की गई। गुरुवार देर शाम मुखबिर की सूचना पर आबकारी निरीक्षक लक्ष्मी शंकर वाजपेयी की टीम द्वारा ग्राम केसरी खेड़ा और ग्राम भीलमपुर अंतर्गत थाना मोहनलालगंज में संदिग्ध स्थानों पर दबिश की कार्यवाही की गई। दबिश के दौरान आम के बाग, झाड़ी, तालाब किनारे और घर से लगभग 30 लीटर अवैध कच्ची शराब और करीब 90 किलोग्राम लहन बरामद किया गया। अवैध शराब को जब्त करते हुए बरामद लहन को मौके पर नष्ट कर दिया गया। आबकारी अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कुल 03 अभियोग पंजीकृत किए गए। साथ ही आसपास के लोगों से अपील की गई कि अपने आसपास होने वाले अवैध शराब से संबंधित कोई भी सूचना हो, आबकारी विभाग को दें। किसी भी गांव को अवैध शराब से मुक्त करने के लिए जागरूकता बेहद जरुरी है। जिससे आपकी आने वाली पीढ़ी इस धंधे से निकल कर आगे अपने भविष्य में आगे बढ़ सकें। नहीं तो इसी तरह आपकी आने वाली पीढ़ी भी इस धंधे में लिप्त होकर कोर्ट कचहरी की चक्कर काटने को मजबूर होगी। आबकारी विभाग की अपील से प्रेरित होकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने आबकारी विभाग को उनकी कार्रवाई में सहयोग का आश्वासन दिया।
आबकारी विभाग ने सीआईएसआर के साथ पोस्त तृण एवं अवशिष्ट भांग फसल को किया नष्ट
प्रकृति द्वारा हमें विभिन्न प्रकार ऐसे पेड़ पौधे उपलब्ध कराए गए हैं। जो औषधि का काम करते हैं। लेकिन कई पौधों का कुछ लोगों द्वारा गलत तरीके से उपयोग करना शुरू कर दिया है। कुछ इसी तरह का उल्लेख भांग के पौधे का भी मिलता है। पोस्त तृण एवं भांग के आयुर्वेदिक महत्व की बात की जाए, तो यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने में काफी सहायक माना जाता है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) लखनऊ में रिसर्च के बाद पोस्त तृण एवं अवशिष्ट भांग फसल के विनष्टीकरण की कार्यवाही की गई। यह कार्यवाही उत्तर प्रदेश स्वापक औषधि चतुर्थ संशोधन नियमावली 2220 के आलोक में आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश , प्रयागराज के आदेश के क्रम में जिलाधिकारी द्वारा गठित टीम द्वारा किया गया।
विनष्टीकरण की कार्यवाही के लिए ए.सी.एम.-1 चन्द्र कान्त त्रिपाठी व आबकारी निरीक्षक सेक्टर-1 कीर्ति प्रकाश पांडेय एवं सी.आई.एस.आर. राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद), लखनऊ के नामित सदस्यों की उपस्थिति में पोस्त तृण का विनष्टीकरण कराया गया। वहीं उप आबकारी आयुक्त लखनऊ प्रभार नीरज वर्मा की अध्यक्षता में गुरुवार को आबकारी निरीक्षक मनीष त्यागी एवं सी.एस.आई.आर. के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अवशिष्ट भांग फसल का भी नियमानुसार विनष्टीकरण कराया गया। संस्थान के प्रबंधक सदस्यों द्वारा बताया कि इस संस्थान में इन फसलों का उत्पादन अनुसंधान के उद्देश्य से किया जाता है। ताकि इसका प्रयोग कर औषद्यि में इस्तेमाल किया जा सकें। संस्थान में इन पौधों की उन्नत किस्में विकसित किया गया और रिसर्च किया गया। रिसर्च के बाद अवशिष्ट फसलों को गठित टीमों द्वारा नष्ट करा दिया गया। ताकि इसका दुरुपयोग न कर सकेंं।