तीन महीने में लाइसेंसी दुकान बनी अवैध शराब की फैक्ट्री, आबकारी टीम की छापेमारी में खुला अनुज्ञापी का बड़ा खेल

• दुकान से लेकर किराए के मकान तक फैला था नकली शराब का जाल, भारी मात्रा में सामग्री बरामद
• मुख्य लाइसेंसी का बेटा, विक्रेता समेत पांच गिरफ्तार, शराब में मिलावट कर बना रहे थे जानलेवा पेय
• जांच में उजागर हुआ हरियाणा व यूपी की शराब से अपमिश्रण कर नकली विदेशी ब्रांड बनाने का गोरखधंधा
• आबकारी अधिकारी वरुण कुमार की अगुवाई में चली सख्त कार्रवाई, पूरे जिले की लाइसेंसी दुकानों पर कड़ी नजर के आदेश

बिजनौर। जनपद बिजनौर में आबकारी विभाग ने अवैध शराब माफिया पर ऐसा प्रहार किया है, जिसकी गूंज अब प्रदेश स्तर पर महसूस की जा रही है। जिन दुकानों को सरकार ने आम जनता को नियंत्रित, सुरक्षित और कानूनी रूप से मदिरा उपलब्ध कराने के लिए लाइसेंस दिया, वहीं कुछ शराब माफिया उन्हें जहरखाना बनाकर, लाइसेंस की आड़ में जहरीली शराब का अड्डा चला रहे थे। लेकिन इस बार जिला आबकारी अधिकारी वरुण कुमार की सतर्कता, तत्परता और ठोस कार्रवाई ने पूरे नेटवर्क को चकनाचूर कर दिया। शुक्रवार रात को आबकारी निरीक्षण हरि नारायण यादव, त्रिवेणी प्रसाद मौर्य, अतुल राय, कुसुमाकर धर एवं देवेश कुमार सोती की टीम ने झालू क्षेत्र स्थित लाइसेंसी मूलचंद की कंपोजिट दुकान पर छापा मारते हुए अवैध विदेशी शराब की खेप बरामद की। जांच में दुकान से 25 पव्वे अवैध विदेशी मदिरा बरामद की गई। विक्रेताओं की निशानदेही पर आगे की कार्रवाई करते हुए किराए के मकान से 115 लीटर अपमिश्रित शराब, हरियाणा मार्का की विदेशी शराब, नकली ढक्कन, क्यूआर कोड, निडिल, सिरींज, कीप तथा टूटी बोतलें आदि भारी मात्रा में सामग्री बरामद की गई।

यही नहीं, ग्राम शहजादपुर में एक अन्य ठिकाने पर छापेमारी कर तीन लोगों को अवैध शराब बनाते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। यहां से एल्कोहल मापक यंत्र, ऑटो प्रफेक्ट हीट सीलर मशीन, एयर कमप्रेशर, 45 लीटर एल्कोहल, सैकड़ों खाली बोतलें, और मारूति कार से 24 हॉफ इम्पीरियल ब्लू बोतलें बरामद हुईं। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस पूरे नेटवर्क की कमान खुद लाइसेंसी का बेटा अरविंद कुमार संभाल रहा था, जिसे अन्य चार साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि मुख्य लाइसेंसी मूलचंद घटना के बाद से फरार है और उसकी तलाश में छापेमारी जारी है। अभियान में गिरफ्तार किए गए लोगों में उपेन्द्र सिंह, विपिन कुमार, विनय कुमार, अंकित और अरविंद कुमार (लाइसेंसी का बेटा) शामिल हैं। जबकि मुख्य लाइसेंसी मूलचंद फरार है, जिसकी तलाश में दबिशें जारी हैं। जिला आबकारी अधिकारी वरुण कुमार की रणनीति और जमीनी कार्रवाई ने साबित कर दिया कि अब जनपद में शराब माफियाओं की खैर नहीं।

लाइसेंसी दुकान का लाइसेंस निलंबित करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है, और जिले की सभी लाइसेंसी दुकानों पर कड़ी निगरानी के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि जनपद में अवैध शराब के कारोबार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस दुकान को सरकार ने नियमानुसार शराब विक्रय का लाइसेंस दिया, यदि वह लाइसेंस अवैध गतिविधियों की आड़ बनता है, तो यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी है। हमारी टीम ने कड़ी निगरानी के साथ यह कार्रवाई की है और आगे भी जनहित में इसी प्रकार की छापेमारी जारी रहेगी। जिन दुकानों पर नकली शराब, मिलावट या अवैध क्रियाकलापों की (मामूली) भी सूचना मिलेगी, उन पर कठोरतम कार्रवाई होगी। हम न केवल लाइसेंस निलंबन की प्रक्रिया तेज़ कर रहे हैं बल्कि ऐसे नेटवर्कों को जड़ से खत्म करने के लिए कड़े निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। आमजन से अपील है कि वे भी इस मुहिम में सहयोग करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत विभाग को दें।

लाइसेंस की आड़ में था मौत का धंधा
आबकारी विभाग की जांच में सामने आया कि इस लाइसेंसी दुकान के माध्यम से हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सस्ती शराब को मिलाकर अपमिश्रित व जानलेवा शराब तैयार की जाती थी, जिसे नई बोतलों में भरकर विदेशी शराब के रूप में ऊंचे दामों पर बेचा जाता था। इससे जहां सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा था, वहीं आम नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ किया जा रहा था। ये माफिया शराब उपभोक्ताओं की जान तक जोखिम में डाल रहे थे, और सरकारी संरचना का दुरुपयोग कर सामाजिक ढांचे को खोखला कर रहे थे।

वरुण कुमार की सख्त नीति और टीम की मुस्तैदी बनी अवैध कारोबारियों का काल

इस पूरे अभियान की सराहना इसलिए हो रही है क्योंकि जिला आबकारी अधिकारी वरुण कुमार ने न केवल समय रहते नेटवर्क को भांपा, बल्कि टीम बनाकर बहुस्तरीय छापेमारी, सबूतों की वैज्ञानिक जांच, और गिरफ्तारियों के माध्यम से पूरे गिरोह को जड़ से उखाड़ फेंका। टीम में निरीक्षक हरि नारायण यादव, त्रिवेणी प्रसाद मौर्य, अतुल राय, कुसुमाकर धर और देवेश कुमार सोती शामिल रहे, जिन्होंने जान जोखिम में डालकर घातक कारोबार के केंद्रों तक पहुँच बनाई और माफिया नेटवर्क को तहस-नहस कर दिया।

तीन महीने पहले मिली लॉटरी, तीन महीने में बना अपराध का गढ़

हैरानी की बात यह है कि यह दुकान केवल तीन महीने पहले ही लॉटरी के जरिए लाइसेंस प्राप्त कर पाई थी, और इतने कम समय में ही इसे अवैध शराब के वितरण और उत्पादन का केंद्र बना दिया गया था। यह पूरा मामला स्पष्ट करता है कि कुछ कारोबारी केवल मुनाफा नहीं, बल्कि मानव जीवन को भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटते। अब आबकारी विभाग ने इस दुकान का लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई तेज कर दी है, और जिले की अन्य दुकानों पर कड़ी निगरानी रखने के आदेश भी जारी किए गए हैं।

शराब माफियाओं के लिए अब कोई जगह नहीं
बिजनौर में आबकारी विभाग का यह ऑपरेशन केवल एक छापेमारी नहीं, बल्कि यह संदेश है कि अब माफिया चाहे किसी भी राजनीतिक या कारोबारी छत्रछाया में क्यों न हो, कानून और प्रशासन का शिकंजा कस चुका है। यह कार्रवाई अन्य जनपदों के लिए भी एक मिसाल बनेगी। शराब माफिया के खिलाफ यह जंग अब निर्णायक दौर में है, और आबकारी विभाग की यह भूमिका प्रशंसा के साथ-साथ जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।