विनोद पांडेय@ गाजियाबाद। रईसपुर में भारतीय किसान यूनियन ने किसानों की मांगों को लेकर धरना दिया। सोमवार को प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर कुछ सुगबुगाहट थी। इसके विरोध में किसान खेतों में डटे रहे। किसानों का कहना है कि उचित मुआवजे के बिना जमीन पर कब्जा नहीं होने देंगे।
उल्लेखनीय है कि किसान यूनियन के बैनर तले किसान रईसपुर में कई सालों से धरना दे रहे है। किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजवीर सिंह ने कहा कि रईसपुर और आसपास के गांवों की जमीन का अधिग्रहण 1962 में हुआ। दशकों बीच जाने के बाद किसानों का हक छीना जा रहा है। इस मामले में किसानों के पक्ष में सुप्रीम कोटज़् का भी फेसला आ चुका है। इसके बावजूद शासन प्रशाासन उनकी माग नहीं मा न रहा है।
सोमवार को प्रशासन के यहां पहुंचने की सुगबुगाहट किसान नेताओं को मिली। इसलिए किसान सुबह से खेतों में डट गए। मोदीनगर में भाकियू का धरना होने के कारण प्रशासन यहां जमीन पर अधिग्रहण करना चाह रहा था। लेकिन उसमें सफलता नहीं लगी।
निगम पार्षद एवं नेता मनोज चौधरी का कहना है कि किसानों को उचित मुआवजा हर हाल में मिलना चाएि। जग तक उनके साथ न्याय नहीं होगा वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे। केंद्र सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की बात कर रही है। कोरोना वायरस के चलते किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं।
पांच गांव के किसानों की वर्ष-1962 में जमीन अधिग्रहीत की गई। सुप्रीमकोर्ट किसानों को बढ़ाकर जमीनों का मुआवजा देने के आदेश जारी कर चुकी हैं। मगर शासन और जिला प्रशासन मुआवजा नहीं दिला पा रहा है। पिछले पांच साल से किसान धरना दे रहे हैं।
जमीनों को बचाने और बढ़ा हुआ जमीनों का मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर खेत में प्रदर्शन किया गया। धरने में राजेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, नरेंद्र कुमार प्रधान, लोकेदार, शीशपाल, महेंद्र सिंह, मनफूल धमेज़्द्र सिंह, लीलू, सतवीर, सोहनवीर, अशोक चौधरी, हरिनिवास शामिल रहे।