आईएएस 2020 टॉपर प्रदीप सिंह को नहीं मिल सकेगा उनका गृह राज्य हरियाणा कैडर

IN8@अम्बाला……यूपीएससी संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा 2019 के फाइनल परिणामो में पूरे देश में पहला रैंक हासिल कर आईएएस 2020 टॉपर बने सोनीपत ज़िले के प्रदीप सिंह को अपना गृह राज्य अर्थात हरियाणा कैडर नहीं मिल सकेगा। इसका कारण यह है कि इस वर्ष हरियाणा राज्य को केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग डीओपीटी द्वारा जो पांच नव नियुक्त आईएएस अधिकारी अलॉट किये जाएंगे उसमें से तीन आउटसाइडर अर्थात दूसरे राज्यों के निवासी एवं दो इनसाइडर यानि हरियाणा के निवासी होंगे हालांकि वो आरक्षित वर्ग से होंगे।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि इस सम्बन्ध में डीओपीटी ने बीती 16 सितम्बर को देश के सभी 25 राज्यों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिख उन्हें उनके राज्य के सम्बन्ध में इस वर्ष अलॉट किये गए नव नियुक्त आईएएस अधिकारियों की सम्बंधित केटेगरी सहित कुल संख्या अर्थात आउटसाइडर -इनसाइडर बाहरी-आंतरिक और उनकी जाति एवं वर्ग अनुसार जानकारी दी है।

डोपोपीटी का उक्त पत्र प्राप्त कर उसका अध्ययन करने के बाद हेमंत ने बताया कि इस वर्ष हरियाणा राज्य एवं कैडर को कुल 5 नव नियुक्त आईएएस अधिकारी मिलेंगे जिनमें से 3 आउटसाइडर होंगे जो सभी अनारक्षित वर्ग से होंगे अर्थात सिविल सेवा परीक्षा 2019 में अन्य राज्यों के निवासी उम्मीदवार जो उच्च रैंक में सफल हुए हैं एवं जिनको आईएएस सेवा अलॉट होगी वह ही योग्य होंगे। हालांकि अनारक्षित वर्ग में आम तौर पर सामान्य वर्ग के सफल उम्मीदवार आते हैं, जिसमे बीते वर्ष 2019 से लागू ईडब्ल्यूएस आर्थिक रूप से कमजोर केटेगरी भी शामिल है परन्तु हेमंत ने बताया कि किसी आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार भी अपनी मेरिट अर्थात फाइनल परीक्षा परिणाम में हासिल अपने उच्च रैंक के आधार पर अनारक्षित रिक्ति को क्लेम कर हासिल कर सकता है। जहाँ कर हरियाणा को अलॉट शेष 2 इनसाइडर अर्थात हरियाणा के मूल निवासियों की रिक्तियों का विषय है, इस वर्ष इनमें से एक ओबीसीअन्य पिछड़े वर्ग एवं 1 एससी अनुसूचित जाति से संबधित होगा। इस प्रकार इस वर्ष हरियाणा से ऑल इंडिया आईएएस टॉपर प्रदीप सिंह, जो सामान्य जाति से है, उन्हें अपना गृह राज्य हरियाणा कैडर नहीं मिल सकेगा। हालांकि उन्हें जोन-1 में अपनी पसंद द्वारा चुना गया पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, उत्तरखंड या ऐजीएमयूटी कैडर अलॉट हो सकता है। अक्टूबर, 2019 में जम्मू-कश्मीर के यूटी बनने के बाद अब वह राज्य कैडर नहीं है।

हालांकि हेमंत ने बताया की सितम्बर, 2017 से प्रभावी आईएएस कैडर आबंटन पालिसी के अनुसार अगर इनसाइडर कोटे से कोई ओबीसी रिक्ति को भरने के लिए योग्य सफल उम्मीदवार नहीं मिलता, तो उसे पहले एसटी अनुसूचित जनजाति वर्ग में, फिर एससी वर्ग में और फिर अनारक्षित वर्ग को ट्रांसफर उस वर्ग के सम्बंधित योग्य उम्मीदवार द्वारा भरा जा सकता है। इसी प्रकार योग्य एससी सफल उम्मीदवार न मिलने के कारण पहले एसटी, फिर ओबीसी और फिर अनारक्षित वर्ग में ट्रांसफर कर उस वर्ग से भरा जा सकता है। हालांकि चूँकि इस वर्ष हरियाणा से कई उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा 2019 में सफल हुए है, इसलिए दो इनसाइडर रिक्तियों सहजता से हरियाणा निवासी आरक्षित वर्ग ओबीसी एवं एससी के दो सफल योग्य उम्मीदवारों में से भरी जा सकेंगी।

हेमंत ने बताया कि आज से आठ वर्ष पूर्व भी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2011 के फाइनल परिणाम, जो वर्ष 2012 में घोषित हुआ, में हरियाणा निवासी एक महिला शेना अग्रवाल ने पूरे देश में पहला रैंक हासिल कर आईएएस 2012 टॉपर बनी परन्तु दुर्भाग्यवश उस वर्ष केंद्र द्वारा निर्धारित आबंटन में हरियाणा के लिए एक भी इनसाइडर रिक्ति नहीं थी, जिस कारण शेना को हरियाणा कैडर नहीं मिल सका एवं वर्तमान में वह पंजाब कैडर में आईएएस है। हालांकि 14 वर्ष पूर्व हरियाणा की एक और महिला मोना प्रुथी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा- 2005 में टॉप कर आईएएस 2006 टॉपर बनी, उन्हें हरियाणा कैडर अलॉट हो गया था। वर्तमान में मोना गत दो वर्षो से भारतीय चुनाव आयोग में डेपुटेशन पर हैं।

सिविल सर्विस परीक्षा-2017 से सम्बंधित एक रोचक मामले के बारे में बताते हुए हेमंत ने बताया कि हरियाणा निवासी अनु कुमारी ने फाइनल परीक्षा में सम्पूर्ण देश में दूसरा स्थान तो प्राप्त किया एवं उस वर्ष हरियाणा में एक अनारक्षित इनसाइडर रिक्ति भी थी परन्तु फिर भी उन्हें केरल राज्य कैडर अलाट हो गया। इसका कारण यह है कि अनु निर्धारित समय पर अपनी पसंद के जोन को यूपीएससी को नहीं सौंप पायी थी, हालाकि उनका दावा था कि सिस्टम में कुछ गड़बड़ी होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पायी थी।

अपना गृह राज्य कैडर न मिलने के कारण उन्होंने पहले कैट केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल मुख्य बेंच दिल्ली में याचिका डाली जहाँ उसे सफतला नहीं मिली जिसके बाद वह दिल्ली हाई कोर्ट गयी जहाँ दो वर्ष पूर्व सितम्बर, 2018 में उसकी अर्जी स्वीकार कर ली गयी हालांकि इस निर्णय के विरूद्ध डीओपीटी सुप्रीम कोर्ट गया जहाँ बीते वर्ष अप्रैल, 2019 में कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया जिसके फलस्वरूप अनु वर्तमान में केरल कैडर की आईएएस हैं हालांकि उनसे एक रैंक नीचे तीसरे स्थान पर रहे सचिन गुप्ता को हरियाणा कैडर अलॉट हो गया एवं वर्तमान में वह अम्बाला शहर के एसडीएम है।