IN8 @ गाजियाबाद। कैंसर के इलाज में यशोदा अस्पताल संजय नगर की ख्याति दिनोदिन बढ़ती जा रही है। रोजाना पूरे उत्तरप्रदेश के कई जिलों से कैंसर से पीडि़त मरीज अपना सफल उपचार इस अस्पताल में करा रहे हैं
भारत के प्रसिद्ध आर्मी अस्पताल आर एंड आर दिल्ली के विश्वस्तरीय चिकित्सकों की टीम के साथ साथ अत्याधुनिक उपकरणों से लैस यह अस्पताल धीरे धीरे कैंसर पीडि़त मरीजों के लिए पसंदीदा अस्पताल बनता जा रहा है। अब मरीज दिल्ली की ओर रुख न कर ग़ाजिय़ाबाद में ही किफायती दरों में कैंसर की उन्नत चिकित्सा प्राप्त कर रहे हैं।
गत 20 अक्टूबर को एक महिला पेट की सूजन की शिकायत से इस अस्पताल की ओपीडी में पहुची। कई अस्पतालों में दिखाने के बाद उनके किसी संबंधियों नें उन्हें में0 जनरल डॉ सी के जखमोला से सलाह लेने की राय दी। जनरल डॉ जखमोला पिछले 20 वर्षों से लैप्रोस्कोपिक तकनीक के माहिर सर्जन है और यशोदा में जॉइन करने से पूर्व प्रतिष्टित आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में एक प्रसिद्ध लैप्रोस्कोपिक सर्जन के रूप में जाने जाते रहे हैं।
डॉ जखमोला भारतीय आर्मी के प्रथम सर्जन हैं जिन्होंने आर्मी के अस्पतालें में लैप्रोस्कोपिक ग्रोइन हर्निया की सर्जरी की सुरुआत की थी। मरीज के प्रारंभिक जांचो से (सीटी स्कैन/यूएसजी) पता चला की उस महिला के पेट में काफी बड़ी सिस्ट (द्रव्य से भरी थैली) है। मगर किसी भी जांचों से यह नहीं पता लग पा रहा था कि इस सिस्ट की उत्पत्ति पेट के किस अंग से हो रही थी। रेडियोलाजिस्ट ने अपने रिपोर्ट में यह जाहिर किया कि यह आंतों की मिजेन्ट्रिक सिस्ट या महिला की ओवरी से उत्पन हो सकती है।
इसके साथ ही मरीज के पित्त की थैली में भी पथरी पायी गयी थी जिसके कारण महिला असीम दर्द में थी। मरीज के तीमारदारों की यह इक्छा थी कि दोनों बीमारियों का एक ही आपरेशन के द्वारा इलाज हो जाये और कम से कम चीर फाड़ करनी पड़े। डॉ जखमोला ने आपरेशन करने से पूर्व यह सुनिश्चित किया कि यह सिस्ट कैंसर की रसौली तो नही है। आस्वस्वत होने के पश्चात उन्होंने 3ष्ठ लैप्रोस्कोपिक तकनीक से इस मरीज का सफलतापूर्वक 8 लीटर द्रव से भरी हुई इस सिस्ट औऱ पित्त को थैली को निकालने का सफल आपरेशन किया। आपरेशन के दौरान यह पाया गया यह सिस्ट दायीं ओर की ओवरी से उत्पन्न हो रही थी।
हालांकि ओवरी की सिस्ट का आपरेशन बहुत असाधारण नही है किन्तु 8 लीटर की सिस्ट को दूरबीन विधि से निकलना एक जटिल आपरेशन है जिससे एक माहिर लैप्रोस्कोपिक सर्जन ही कर सकता है।