लोकतंत्र सेनानी,वरिष्ठ पत्रकार अशोक गोयल का निधन




सुरेंद्र सिंह भाटी@बुलन्दशहर : वरिष्ठ पत्रकार अशोक गोयल जी का हुआ निधन।गोयल के निधन से समाज के प्रत्येक वर्ग में शोक की लहर है 70 वर्षीय अशोक गोयल शिकारपुर के रहने वाले थे और उन्होंने बुलंदशहर जिला मुख्यालय पर सेल्स टैक्स में अधिवक्ता के तौर पर अपना प्रोफेशन शुरू किया।

पत्रकारिता के एक युग का अंत


आज उनके निधन पर प्रशासन, राजनैतिक दल के पदाधिकारिओं , व्यापारी , अधिवक्ता व पत्रकारिता से जुड़े लोगों ने घर पहुँच उनको श्रद्धांजलि व्यक्त की।
अशोक गोयल जी जैसी सहज, मिलनसार और आत्मीयता से भरपूर शख्सियत का अचानक चला जाने से सभी हैरान है। उनके दिल के दरवाजे अपने स्नेही जनों, मित्रों के लिए जब भी जरूरत हो, हमेशा खुले रहे। उनका जाना हम सब को एक ऐसे अकेलेपन के गहरे अहसास से भर गया है जो घर के सम्मानित बुजुर्ग का साया उठ जाने से होता है।


अशोक गोयल उस परंपरा की एक दुर्लभ कड़ी थे। उनकी निकटता और मार्गदर्शन पाना मेरे लिए व्यक्तिश: और पत्रकारीय दोनों के नज़रिये से एक उपलब्धि रही। बढ़ती उम्र के बावजूद आदरणीय गोयल जी हम सब जनपद के पत्रकारों के लिए अंत तक एक बड़े और छांहदार वट वृक्ष बने रहे।

एक ऐसी सहज, मिलनसार और गर्माहट भरी आत्मीयता से भरपूर शख्सियत का चला जाना। हम सब को एक ऐसे अकेलेपन के गहरे अहसास से भर गया है जो घर के सम्मानित बुजुर्ग का साया उठ जाने से होता है।
आज की मौकापरस्त पत्रकारिता में जिसका जनता या साहित्य और विचारों की दुनिया से कोई नाता नहीं दिखता। गहरा सम्मान भाव रखने वाले गोयल एक दुर्लभ ऑर्किड की तरह थे। कुछ दिनों पहले उन्हें हार्ट अटैक आया था। हालांकि बाद में वे ठीक हो गए थे और निरंतर यूएनआई एजेंसी में खबरें भेज रहे थे।

आज रविवार की सुबह ऐसी दुख भरी सूचना मिली कि शरीर भी कांपने लगा, आखिर अब पत्रकारिता क्षेत्र में आशीर्वाद देने वाला हमसे दूर चला गया।
एक अच्छे मनुष्य से जुड़ कर किस हद तक मानवीय सरोकार बना सकती है। इसका प्रत्यक्ष रूप मैंने भी जाना।उनके दिलो दिमाग के रास्ते कई दिशाओं, कई खिड़कियों में खुलते थे। इसलिए वे विचारधारा की ज्यादतियों या संकीर्णता के वे कभी शिकार नहीं बने।

जब कभी मिलते अपने से कहीं कम अनुभव और आयु वालों से भी वे हमेशा एक बालकोचित उत्सुकता से जानना चाहते थे कि इन दिनों क्या कुछ लिखा जा रहा है। पत्रकारिता की दिशा दशा पर बहुत गहराई से बात करते थे।आज जबकि रोज बरोज पत्रकारिता के उद्दंड बर्बर रूपों ने पत्रकारिता के क्षेत्र में किसी भी तरह की संवेदनशील बातचीत की संभावना को मिटा डाला है।

अशोक गोयल का जाना एक अपूरणीय क्षति है। वे उस उदार पत्रकारिता के चंद बच रहे झंडाबरदारों में से थे। जिनका आदर्श गांधी, अटल बिहारी वाजपेई, आचार्य नरेंद्र देव और कृपलानी जैसे बुद्धि की गरिमा वाले राजनेता रहे। अशोक गोयल जी सेल्सटेक्स वरिष्ठ एडवोकेट रहे। नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, पंजाब केसरी, जनसत्ता और अमर उजाला अखबार में बतौर ब्यूरो चीफ के पद पर कार्य किया और वर्तमान में यूएनआई एजेंसी को समाचार भेजते थे और शासन से मान्यता प्राप्त पत्रकार भी थे , इमरजेंसी में जेल भी गये थे उनको लोकतंत्र सेनानी का सम्मान भी सरकार द्वारा दिया गया।


पत्रकारिता की सारी हड़बड़ी और आपाधापी के बीच भी हमें निरंतर विवेक, दिमागी ताज़गी और खुलेपन का सुखद अहसास देने वाले इस पितृपुरुष को हमारी विनम्र ॠद्धांजलि।