सय्यद मुनीर अकबर ने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र के माध्यम से अवगत किया

सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलन्दशहर, आज उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सय्यद मुनीर अकबर ने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र के माध्यम से अवगत किया है कि हमारे समाजवादी और पंथनिरपेक्ष गणराज्य के संरक्षक होने के नाते आपका ध्यान आकृष्ट कराना है कि संसद द्वारा निर्मित पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन करते हुए बनारस की एक निचली अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे कराने का निर्देश दिया गया है।

विदित हो कि बाबरी मस्जिद सिविल टाइटल फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा था। सनद रहे कि संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। आप जानते हैं कि यह अधिनियम स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र और मिल्कियत थी|

वो यथावत रहेगी, इसे चुनौती देने वाले किसी भी प्रतिवेदन या अपील को किसी न्यायालय, ट्रिबूयुनल या प्राधिकार के समक्ष स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह अवैधानिक फैसला देने वाले सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर का आचरण अनुशासनहीनता के दायरे में आता है।

अतः उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाई की जाए। सय्यद मुनीर अकबर आगे कहा है कि एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने आगरा के ताजमहल के मंदिर होने के दावे वाली अयोध्या के भाजपा मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह द्वारा याचिका भी दायर की गयी है। इससे पहले भी 16 नवम्बर 2021 को पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करते हुए आगरा की जिला अदालत ने ताजमहल के मंदिर होने के दावे वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था।

जबकि 20 फरवरी 2018 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ऐसी ही एक अन्य मांग के जवाब में आगरा की ज़िला अदालत में शपथपत्र देकर स्पष्ट किया था कि ताजमहल शाहजहाँ द्वारा निर्मित मकबरा है ना कि शिव मंदिर। ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायपालिका का एक हिस्सा सरकार के सहयोग से देश के सद्भाव को बिगाड़ना चाहता है और इसके लिए वह पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन कर रहा है।