सादगी से मनायी गयी शिवरात्रि, मंदिरों में हुआ जलाभिषेक

  • अधिकतर श्रद्धालुओं ने घरों में ही भगवान की पूजा अर्चना
  • मंदिरों में भीड न हो, इसके लिए तैनात रहे पुलिसकर्मी

दीपक वर्मा@ शामली। सावन माह की शिवरात्रि का पर्व रविवार को बेहद सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया। इस अवसर पर शहर के मंदिरांे में श्रद्धालुओं ने भगवान आशुतोष का जलाभिषेक कर परिवार की सुख समृद्धि व देश में फैल रहे कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने की अपील की। मंदिरों में भक्तों को थर्मल स्क्रीनिंग एवं मास्क लगाने पर ही प्रवेश करने की अनुमति दी गयी, वहीं पांच से अधिक श्रद्धालुअ ों को भगवान का जलाभिषेक नहीं करने दिया गया। मंदिरों में भीड न हो, इसके लिए पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गयी थी।

जानकारी के अनुसार भगवान शिव के प्रिय माह सावन में इस बार कोरोना संक्रमण हावी रहा। कोरोना से बचाव के लिए शासन द्वारा मंदिरों में विशेष सावधानी बरतने व बिना मास्क के प्रवेश न देने के कडे आदेश जारी किए गए थे जिसका असर रविवार को सावन माह की शिवरात्रि पर साफ देखने को मिला। बेहद कम संख्या में लोग मंदिरों में भगवान शिव के जलाभिषेक को पहुंचे, इस दौरान मंदिरों में आने वाले शिवभक्तों को थर्मल स्क्रीनिंग एवं बिना मास्क लगाए मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गयी।

श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर परिवार की सुख समृद्धि एवं देश में फैल रहे कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। पांच से अधिक श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। शहर के मंदिर हनुमान टीला हनुमान धाम स्थित मनकामेश्वर मंदिर, कैराना रोड स्थित सिद्धपीठ मंदिर गुलजारी वाला, सिद्धपीठ भाकूवाला मंदिर, सदाशिव मंदिर रेलपार, सती वाला मंदिर सहित सभी शिवालयों में सुबह बेहद कम ही श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे जबकि शहर के सुभाष चैंक स्थित शिव मंदिर के कपाट सुबह से ही बंद रहे। श्रद्धालुओं ने बाहर से ही भगवान के दर्शन कर पूजा अर्चना की।

शिवरात्रि पर मंदिरों में भीड न हो, इसके लिए पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गयी थी। ज्यादातर श्रद्धालुआंे ने घरों में ही रहकर भगवान की पूजा अर्चना की। कई श्रद्धालुओं ने घरों में ही स्थापित किए गए छोटे से शिवलिंग पर ही जलाभिषेक किया। श्रद्धालुओं का कहना था कि उन्हांेने जीवन में पहली बार ऐसी शिवरात्रि देखी है जिसमें भगवान को जलाभिषेक करने की भी छूट नहीं है। कोरोना संक्रमण ने सावन माह का सारा उत्साह फीका कर दिया। मंदिरों में भगवान के जयकारे तक नहीं लगे।