- आम आदमी पार्टी व रालोद ने कलेक्ट्रेट पर किया हंगामा प्रदर्शन
- राष्ट्रपति से अध्यादेशों को वापस लेने की मांग
दीपक वर्मा@शामली। केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा व राज्यसभा में पारित कराए गए कृषि अध्यादेशांे को लेकर विपक्षी पार्टियांे में उबाल आ गया है। सोमवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने सरकार द्वारा पारित किए गए बिलों के विरोध में जमकर हंगामा प्रदर्शन किया तथा राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर अध्यादेशों को तुरंत वापस लेने की मांग की। पार्टियों ने चेतावनी दी कि यदि अध्यादेशों को तत्काल वापस न लिया गया तो सडकों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा लोकसभा व राज्यसभा में पारित कराए गए कृषि अध्यादेशों को लेकर विपक्षी पार्टियों में अच्छा खासा आक्रोश है। सोमवार को आम आदमी पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल छात्रसभा ने अध्यादेशों के विरोध मंे कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया तथा राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर अध्यादेशों को वापस लेने की मांग की। आम आदमी पार्टी जिलाध्यक्ष राजेन्द्र पहलवान के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा व राज्यसभा में पारित कराए गए किसान विरोधी तीनांे बिलों के खिलाफ कडा आक्रोश जताया। जिलाध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने भारतीय संसद में असंवैधानिक तरीके से पारित एग्रीकल्चर आर्डिनेस (कृषि अध्यादेश) से जय जवान जय किसान का नारा लगाने वाले देश के किसानों की बदहाली में एक और काला अध्याय जोड दिया है। भाजपा सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं है जिसका जीता जागता प्रमाण ये काले कानून है। उन्होंने कहा कि कृषि सैक्टर को निजी हाथों में देने के लिए यह बिल लाया गया है, इससे एमएसपी खत्म हो जाएगी। कृषि अध्यादेश को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा कहा गया है कि किसानों के लिए यह क्रांतिकारी बिल है लेकिन यह सच है कि कृषि जो हमारा देश की जीवन रेखा है, 80 प्रतिशत लोग जो गांव में रहते हैं, वो कृषि पर निर्भर है। उसको पंूजीपतियों के हाथों मं देने के लिए यह बिल लाया गया है। इस बिल की वजह से धान, गेहूं व अन्य फसलों पर मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाएगा, बिल मंे पूंजीपतियों को खुली छूट दे दी गयी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार एयरपोर्ट, एलआईसी, बैंक, एयर इंडिया, बीपीसीएल व रेलवे को बेच रही है अब किसानों से उसकी खेती को भी छीना जा रहा है। इस बिल के पास होने से बडे-बडे पूंजीपतियों को कृषि क्षेत्र में आने का मौका मिलेगा। 10-20 एकड जमीन के कलस्टर बनेंगे और पंूंजीपति कहीं से भी फसल खरीदकर देश में उसका भंडार कर सकेंगे। उन्होंने इन बिलों को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि यदि ऐसा न हुआ तो आम आदमी पार्टी किसानों के साथ मिलकर सडकों पर उतरकर आंदोलन करेगी। इस अवसर पर संजीव श्योरान, विनोद बालियान, योगेश कुमार, ओमपाल कश्यप, बबलू कश्यप, वीरपाल उपाध्याय, सतेन्द्र कुमार आदि भी मौजूद रहे। दूसरी ओर राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता व छात्रसभा प्रदेश महासचिव विशाल चैधरी के नेतृत्व में कार्यकर्ताआंे ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अध्यादेशांे के विरोध में प्रदर्शन किया। विशाल चैधरी ने कहा कि पहले ही कर्ज के बोझ में दबे किसानों को मारने के लिए केन्द्र सरकार जो तीन नए कृषि अध्यादेश लाई है इनसे किसान और भी ज्यादा भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएगा। कोरोना जैसी महामारी में भी किसानों ने खेत खलिहान में काम कर देश को जिंदा रखने का काम किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार एक देश एक कृषि मार्किट बनाने की बात कर रही है, इस अध्यादेश के माध्यम से किसान सीधे अपना माल कहीं भी बेच सकता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि कृषि माल की बिक्री एपीएमसी यार्ड में होने की शर्त केन्द्र सरकार ने हटा ली है। कृषि माल खरीदने वाले व्यक्ति और किसान के बीच विवाद होने पर किसान कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकेगा, यह एक तरह से किसान का शोषण है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी हमेशा सरकार के दबाव में रहता है, और सरकार व्यापारियों व कंपनियांे के पक्ष में खडी रहती है क्योंकि चुनाव मंे व्यापारी व कंपनियां ही राजनीतिक पार्टियों को चंदा देती है। न्यायालय सरकार के अधीन नहीं होते और न्याय पाने के लिए कोर्ट में जाने का हर भारतीय को अधिकार संविधान में दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन अध्यादेशों के चलते बडी बडी कंपनियां खेती करेंगी और किसान उसमें सिर्फ मजदूर बनकर काम करेंगे। उन्होंने राष्ट्रपति से इन अध्यादेशोंको तुरंत वापस लेने की मांग की। इस अवसर पर चै. पंकज सरोहा, विशाल करोडी, सचिन सरोहा, देवराज, डा. जितेन्द्र पंवार, सौरव पंवार, सतेन्द्र मलक, मा. शहजाद, राजन जावला, पवन कुमार जावला, ओमवीर, संजीव, सुधीर, सुधीर चैधरी, नीटू, रविन्द्र पाल आदि भी मौजूद थे।