IN8@रोहतक—केन्द्र व प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में भारत बचाओ सत्याग्रह आंदोलन के तहत विभिन्न किसान-मजदूर-कर्मचारी संगठनों ने शहर में रोष प्रदर्शन कर लघु सचिवालय का घेराव किया और गिरफ्तारियां दी। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार आपदा के समय में इमरजेंसी जैसा शासन लागू कर रही है। देश-विदेश के बड़े पूजिपतियों के हित में देश के तमाम संसदीय एवं संवैधानिक नियमों को ताक पर रख आदेशों और अध्यादेश के जरिए कानूनों में बदलाव किए जा रहे है।
डेढ़ सौ सालों के संघर्षो के बल पर अर्जित किए गए श्रम कानूनों को रद्द करके श्रमिकों के लिए गुलाम व्यवस्था लागू की जा रही है और किसान व मजदूरों से सुविधाएं छीनी जा रही है, जिसे किसी कीमत पर देश का किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी बर्दाशत नहीं करेगा। रविवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत भारतीय किसान यूनियन अंबावता, अखिल भारतीय किसान सभा, सीआईटीयू, इंटक, सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा कर्मचारी महासंघ, रिटायर्ड कर्मचारी संघ, आंगनवाडी वर्कर्स, बर्खास्त पीटीआई अध्यापक, रोडवेज, बिजली, स्वास्थ्य विभागों सहित अनेक कर्मचारी संगठनों के बैनर तले प्रतिनिधि मानसरोवर पार्क में एकत्रित हुए और रोष सभा का आयोजन किया।
भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष अनिल नांदल उर्फ बल्लू प्रधान ने कहा कि सरकार ने जो तीन काले कानून लागू किए है, उससे फसलों की सरकारी खरीद चौपट हो जाएगी और प्राईवेट कम्पनियों को मनमर्जी के दामों पर कृषि उत्पाद खरीदने की छूट मिल गई है। साथ ही बड़ी कम्पनियों को हजारो लाखों एकड जमीन ठेके पर लेने की इजाजत दी गई है और कम्पनी के कहने पर ही किसान फसल को उगा सकेगा, जिससे किसान की आजादी छीन जाएगी। इसके अलावा जमाखोरी करने पर जो रोक लगी थी, वह भी सरकार ने हटा दी है और अब बडे व्यापारी फसलों को कम दामों में खरीदकर गोदामों में रखेगे और कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा।
बल्लू प्रधान ने कहा कि सरकार के इन काले कानूनों से कृषि क्षेत्र पूरी तरह बर्बाद होकर देश में खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली पूरी तरह से चौपट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि बरौदा उपचुनाव में सरकार को जनता सबक सिखा देगी। साथ ही दो अक्टूबर को दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की समाधि पर इक्टठे होकर सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई का ऐलान किया जाएगा।