IN8@ डेस्क: लखनऊ के राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) में सोमवार को बड़ी लापरवाही सामने आई। यहां प्रसव पीड़ा से कराह रही एक 22 वर्षीय गर्भवती को भी कोरोना जांच के लिए लाइन में खड़ा करवा दिया गया। इसी दौरान उसका प्रसव हो गया।
अस्पताल पहुंचने पर महिला को प्रसव पीड़ा हुई लेकिन उसे ट्राइएज क्षेत्र में जाने के लिए कहा गया जहां ट्रोट मशीन के माध्यम से कोविड टेस्ट किए जाते हैं। इस दौरान वह बहुत मुश्किल से खड़ी हो पा रही थी और इस दौरान जब उसकी एमनियोटिक थैली फट गई, तो वह गिर गई और उसने मौके पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। इस घटना से दहशत फैल गई और मेडिकल स्टाफ ने महिला और नवजात को एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया।
संस्थान ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और विभाग के एक सदस्य और प्रसूति और स्त्री रोग विभाग के दो वरिष्ठ और दो जूनियर डॉक्टरों को ड्यूटी से जाने के लिए कहा है।
महिला के पति, रमन दीक्षित ने संवाददाताओं को बताया कि उसकी पत्नी नौ महीने की गर्भवती थी और सोमवार को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। रमन ने बताया कि स्त्री रोग के आपातकालीन वार्ड में स्टाफ ने यह कहते हुए उसे एडमिशन नहीं दिया कि प्रोटोकॉल के अनुसार पहले उसे कोविड-19 टेस्ट से गुजरना है, जिसकी लागत 1,500 रुपये थी और मैं इतना नकद नहीं ले गया था। कोविड-19 परीक्षण के लिए लाइन में एक रिश्तेदार के साथ मैंने अपनी पत्नी को खड़ा किया और पैसे लाने के लिए घर चला गया। जब मैं वापस लौटा तो देखा कि मेरी पत्नी ने एक लड़के को जन्म दे दिया था और उसे वार्ड में भर्ती कराया गया था।
लोहिया संस्थान के मीडिया प्रभारी डॉ. श्रीकेश सिंह ने बताया कि जच्चा-बच्चा की स्थिति ठीक है। उनकी कोरोना की भी जांच कराई गई है। वहीं, एक कंसल्टेंट, दो सीनियर व दो जूनियर रेजिडेंट को ड्यूटी से हटा दिया गया है। जांच कमेटी को जो दोषी मिलेंगे, उन पर सख्त कार्रवाई होगी।
वहीं, आरएमएलआईएमएस के कार्यवाहक निदेशक, प्रो नुजहत हुसैन ने कहा, ‘एक तीन सदस्यीय समिति तीन दिनों में इस घटना पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। तब तक, पांच कर्मचारी सदस्य ड्यूटी से बाहर रहेंगे। साथ ही, प्रसूति और स्त्री रोग के प्रमुख से पूछा गया है, यह बताएं कि जब महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तब आपातकालीन देखभाल देने के बजाय उसे कोविड-19 टेस्ट के लिए क्यों भेजा गया।