गाजियाबाद। दीपावली को लेकर स्कूलों में छात्र-छात्राओं ने आकर्षक रंगोली बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। बच्चों ने अपनी रंगोली में लोगों को कई संदेश दिए। बच्चों द्वारा बनाई गई रंगोली को सभी ने सराहा। इस दौरान सफल बच्चों को सम्मानित किया गया। शुक्रवार को प्रताप विहार स्थित गौतम पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दीपावली उत्सव मनाया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम और रंगोली कंपटीशन, दीया डेकोरेशन, कैडिंल मेंकिंग, थाली डेकोरेशन, शुभ लाभ स्वस्तिक मेंकिंग रंगोली मेंकिंग के साथ आयो रे शुभ दिन आयों रे गाने पर विद्यालय की छात्राओं ने नृत्य किया। राम और सीता के रूप में दीपांशु और शगुन ने सबका मन मोह लिया।
प्रधानाचार्या पूनम गौतम ने सभी को दीपवाली की बधाई देते हुए कहा दीपावली मनाने का आध्यात्मिक दृष्टिकोण है। अपने अंदर के दुर्गुणों का नाश करके सद्गुणों की वृद्धि करना। अत: अच्छाई की बुराई पर विजय, गुणों की अवगुणों पर विजय, ज्ञान-प्रकाश की अज्ञान अंधकार पर विजय को ही दीपावली मनाना कहते हैं। दिवाली के दौरान ज्यादातर पटाखों की आवाज 100 डेसीबल से अधिक होती है, जो किसी भी व्यक्ति के कानों के लिए हानिकारक होता है। इसलिए ध्वनि प्रदूषण फैलाने से बचना चाहिए। हमें कम शोर वाले पटाखे खरीदने चाहिए और उन्हें सीमित समय तक जलाना चाहिए।
उप प्रधानाचार्या तनूजा ने बताया दीपावली, भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। भारतीय संस्कृति में कार्तिक माह में मनाए जाने वाले पांच दिवसीय दीपावली पर्व का विशेष महत्व है। यह एक ऐसा अनूठा पर्व है जो जीवन के दो महत्वपूर्ण पक्षों धर्म तथा अर्थ का संगम है। त्रेता युग में दीपावली यानी कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री रामचंद्र 14 वर्ष का वनवास पूरा करके तथा श्रीलंका के राक्षसराज रावण का वध करके अयोध्या वापस आये थे। तब अयोध्या वासियों ने राम के स्वागत पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था।
यह त्योहार, हर साल, केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के भारतीय समुदायों में आनंद और उत्सव के साथ मनाया जाता है। दीपावली शब्द का अर्थ होता है दीपों की श्रृंखला, यह शब्द बना है, दीप और आवली को जोड़ कर दीपावली बना है। जिन्हें संस्कृत भाषा के शब्दों से लिया गया है। दीपावली रोशनी का त्योहार है। दीया जलाकर और खुशियां बांटकर इसे मनाएं। वायु प्रदूषण को रोकने और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पटाखों के प्रयोग से बचें।
डायरेक्टर आशीष गौतम ने बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करते हुए कहा दीपावली जैसे पावन पर्व के महत्व को समझना चाहिए। दीपावली खुशियां मनाने का त्योहार है। घी के दीये जलाना, पकवान मिठाइयां बनाना, घर की साफ-सफाई करना और सजाना यह प्रमुख होता है। दीपावली ऐसा त्योहार है, जो हमें समाज में एक-दूसरे से जोड़ता है। हम आपस में उपहार बांटते है। इससे सद्भभाव बढ़ता है।
सब लोग मिलकर त्योहार मनाएं, लेकिन पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए। इस समय जिले का एक्यूआई पहले से ही बहुत खराब स्तर पर है। ऐसे में अपने शहर को प्रदूषण से बचाना है तो पटाखों से दूरी बनानी होगी। रंगोली कंपटीशन में चारो हाउस प्रगति, प्रेरणा, समृद्धि, शक्ति ने प्रतिभाग किया प्रथम प्रतिभाग प्रगति और समृद्धि द्वितीय प्रेरणा और शक्ति ने जीता। एकडमिक हेड चेतन शर्मा ने सभी का दिवाली की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम को सफल बनाने मे सभी शिक्षक गण का बहुत बडा योगदान रहा।