जगदंबा मार्केट में फल बेच रहे दुकानदार आर्थिक तंगी से परेशान

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के सभी बॉर्डर पर किसान आंदोलन की वजह से फलों के दाम आसमान छू रहे हैं. धीरे-धीरे ये आम इंसान की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. कोरोना के डर के चलते पहले ही लोग फल नहीं खरीद रहे हैं. अब कोरोना का ग्राफ कम होने के साथ-साथ रोजगार भी बढ़ता नजर आ रहा है. वहीं दिल्ली के सभी बॉर्डर किसान आंदोलन के कारण बंद हैं. इसीलिए फल विक्रेता बढ़ते हुए दामों के चलते काफी परेशान हैं. दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है.

फल दुकानदार कहते हैं कि फलों की बिक्री न होने से फल खराब हो रहे हैं. इस वजह से फल विक्रेताओं का काफी नुकसान हो रहा है. सेब, अनार, संतरा, मौसमी, नाशपाती समेत सभी फलों पर दाम बढ़ चुके हैं. सेब का दाम 100 से 150 रुपये किलो है. अनार 120 रुपये किलो तक मिल रहा है. वहीं मौसमी 50 रुपये किलो थोक मंडी में है. इसके अलावा नाशपाती भी 100 रुपये किलो विक्रेताओं को पड़ रही है.

एक और फल विक्रेता ने कहा कि केले की रेहड़ी लगाता हूं. थोक मंडी में केला 35 से 40 रुपये दर्जन मिल रहा है. जिसे वह 50 रुपये दर्जन बेच रहे हैं. बावजूद इसके लोग नहीं खरीद रहे हैं. बहुत कम लोग हैं, जो फल खरीद रहे हैं. केला न बिकने की वजह से बहुत जल्दी खराब हो रहा है. इससे फल विक्रेताओं का बहुत नुकसान हो रहा है.

दिल्ली में किसान आंदोलन के कारण फलों की मंडियों में कीमतें बढ़ रही हैं. जिसको लेकर फल विक्रेताओं का कहना है कि किसान अगर लंबे समय तक आंदोलन पर बैठे रहे तो इसका असर न केवल फल विक्रेताओं पर पड़ेगा, बल्कि लोगों के घरों तक पहुंचने वाली सब्जी भी महंगी हो जाएगी.